ग्वालियर/भोपाल(देसराग) । मध्यप्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव में कलेक्टरों द्वारा जिस तरह तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैं उससे यही लगता है कि गरीब प्रत्याशियों के लिए चुनाव लड़ना मुमकिन नहीं है। राज्य निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के विपरीत कलेक्टर जिस तरह के आदेश निकाल रहे हैं उससे गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए चुनाव लड़ना महज सपना बनकर रह गया है।
मध्यप्रदेश में भिंड और मुरैना जिलों में कलेक्टर द्वारा नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर रहे उम्मीदवारों और उनके प्रस्तावकों से जमानत राशि के तौर पर 25-25 हजार रुपए जमा कराए जा रहे हैं। यह तब हो रहा है जबकि राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से इस तरह की कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है।
मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने इस बाबत राज्य निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखी है। नेता प्रतिपक्ष ने इस चिट्ठी में लिखा है कि अगर पार्षद पद के उम्मीदवारों और उनके प्रस्तावकों से दबाव डालकर यह राशि जमा कराई जाती है तो गरीब तबके के उम्मीदवार कैसे चुनाव लड़ पाएंगे। डॉक्टर गोविंद सिंह इस बाबत राज्य निर्वाचन पदाधिकारी से टेलीफोन पर भी चर्चा की है और उन्हें भिंड और मुरैना जिलों के कलेक्टरों के इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई है। संबंधित जिलों के कलेक्टरों को इस बाबत निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है।