मामी और समीक्षा की राह में रोड़ा बनी महिमा
ग्वालियर(देसराग)। भाजपा में ग्वालियर नगर निगम की महापौर उम्मीदवार का मामला पेचीदा होता जा रहा है। अलबत्ता महापौर पद के लिए पार्टी उम्मीदवार की घोषणा से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रांतीय पदाधिकारी की मराठी उम्मीदवार की जिद के चलते पार्टी संगठन पसोपेश में है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीते दिनों अपने प्रवास के दौरान पहली बार भाजपा के दायित्ववान पदाधिकारियों से चर्चा करने के बहाने भाजपा के संभागीय कार्यालय मुखर्जी भवन में महापौर पद के लिए संभावित उम्मीदवार को लेकर मनों को टटोला। उन्होंने जिला और प्रदेश के समस्त पदाधिकारियों से परिचय लिया। इस दौरान सिंधिया ने मौजूद पदाधिकारियों को संगठन के प्रति निष्ठावान रहने की सलाह भी दी, उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं की जमकर तारीफ की और संगठन को जमकर सराहा। इस दौरान उन्होंने भाजपा में टिकट वितरण को लेकर बड़ी बात कही।
क्या है सियासत
दरअसल ग्वालियर नगर निगम के महापौर का पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। इस पद के लिए यूं तो भाजपा में पूर्व मंत्री माया सिंह और पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रांतीय पदाधिकारी द्वारा बड़ी ही चतुराई के साथ ग्वालियर से प्रकाशित स्वदेश समाचार पत्र के समूह संपादक अतुल तारे की पत्नी महिमा तारे का नाम आगे बढ़ाकर मराठी उम्मीदवार का दांव चल दिया। भाजपा के अन्दरुनी सूत्र बताते हैं कि संघ के प्रांतीय पदाधिकारी के इस दांव के पीछे की सोच खुद की पत्नी को महापौर पद का उम्मीदवार घोषित कराने की है।
वह यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि सीधे-सीधे अपनी पत्नी का नाम आगे बढ़ाने से संघ में उनकी फजीहत हो सकती है। लेकिन ग्वालियर नगरीय क्षेत्र में मराठी मतदाताओं का बड़ा आंकड़ा देखते हुए महापौर पद के लिए महिमा तारे के जरिए मराठी उम्मीदवार की बात पर संघ और भाजपा संगठन एकबार सोचने को मजबूर हो जाएगा, इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि ग्वालियर के मराठी मतदाता दशकों से विधानसभा के चुनावों में लगातार भाजपा का सहयोग करते आ रहे हैं, लेकिन उन्हे मध्य प्रदेश विधानसभा में ग्वालियर जिले से कई दशकों से प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। एक रणनीति के तहत खेले गए इस दांव में एक बड़ा खेल यह भी खेला जा रहा है कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस मामले में ज्यादा दखल न दे सकें, इसके लिए सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस में मौजूद अपने शागिर्दों के जरिए सिंधिया पर जमीन से जुड़े मामलों को लेकर हमले तेज कराए जाएं।
यह रणनीति धरातल पर उतरती दिखाई भी देने लगी है। जब जिला कांग्रेस की ओर से एक पर्चा जारी किया गया, जिसमें सिंधिया से जुड़े जमीनी मामलों को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं। अब जब ग्वालियर नगर निगम महापौर पद के लिए भाजपा उम्मीदवार के चयन की कवायदें चल रही हैं, तब सवाल यह उठ रहा है कि यदि मराठी उम्मीदवार चुनावी रण में उतारा उतारा जाए तो वह कौन होगा? ऐसे हालात में जब महिमा तारे का नाम सामने आएगा, तब सवाल महिमा तारे की सियासी पहचान और पृष्ठभूमि को लेकर बात उठेगी तो संघ में बैठे अपने अन्य सिपहसालारों के जरिए अपनी पत्नी का नाम मराठी उम्मीदवार के रुप में आगे बढ़ाया जाए। हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इन प्रांत पदाधिकारी ने सियासी शतरंज के मोहरे कुछ इस तरह बिठाए हैं कि भाजपा के बड़े-बड़े धुरंधर पस्त पड़ गए हैं।
महापौर की सीट को लेकर मंथन
ग्वालियर में होटल के बंद कमरे में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके कट्टर विरोधी रहे जयभान सिंह पवैया के बीच गजब की जुगलबंदी नजर आई, संगठन की गोपनीय बैठक में दोनों ने एक-दूसरे के पास बैठकर बातचीत की। बता दें कि जब से सिंधिया भाजपा में आए हैं, इस तरह किसी बैठक में दोनों एक साथ बैठकर संगठन के लिए चर्चा करते हुए पहली बार नजर आए हैं। भाजपा की इस कोर ग्रुप की बैठक में पार्षद के टिकट से लेकर महापौर चुनाव की रणनीति पर बातचीत हुई। बैठक में क्या बात हुई ये तो फिलहाल मीडिया को नहीं बताया गया, पर लीक हुए वीडियो में सीट की बातें होती सुनाई दे रही हैं।
कार्यकर्ताओं के बीच पैठ बनाना चाहते हैं सिंधिया
नगरीय निकाय चुनावों में सिंधिया ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस को करारी शिकस्त देना चाहते हैं, यही कारण है कि उन्होंने कार्यकर्ताओं को ‘गढ़े चलो’ का मूल मंत्र लेकर जोश और उत्साह से भरने का काम किया। सिंधिया ने तकरीबन 20 मिनट तक पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित किया, इस दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ के कसीदे पढ़े, अब देखना होगा इसका असर कार्यकर्ताओं पर कितना होता है।
इस दौरान सिंधिया ने भाजपा में महापौर के टिकट वितरण को लेकर यह भी कहा कि “भोपाल में इसके लिए बैठक होगी, इसके बाद उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जाएंगे।” सिंधिया का यह अंदाज चर्चा का विषय बना हुआ है, उन्होंने जिस तरीके से पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों से बातचीत की, उससे साफ है कि सिंधिया पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच अपनी गहरी पैठ बनाना चाहते हैं।
यूं तो ग्वालियर नगर निगम में सालों से भाजपा का कब्जा रहा है और लंबे समय से महापौर का पद भी भाजपा के की ही खाते में आया है। पार्टी का दावा है कि इस बार भी नगर निगम परिषद में उसका ही कब्जा रहेगा और महापौर का पद भी उसके पास रहेगा। यह दावा धरातल पर कितना सार्थक होगा यह तो समय बताएगा, लेकिन पार्टी में जिस तरह हर रोज महापौर पद के लिए नए दावेदार सामने आ रहे हैं उसने पार्टी नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।