ग्वालियर(देसराग)। मध्यप्रदेश का ग्वालियर शहर राजनीति के मामले में पूरे देश में जाना जाता है, क्योंकि यहां पर सिंधिया घराने के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां रहती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी शहर के लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। शहर के कुछ इलाकों के हालत ऐसे हैं जिनमें शहरवासी गांव से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं। इतना ही नहीं लोगों से सामने पानी की समस्या के साथ ही सामाजिक समस्या भी खड़ी हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी की कमी के चलते लोग हमारे घरों अपनी बेटियों की शादी करने को तैयार नहीं हैं। हालत यह है कि युवकों के शादी विवाह के रिश्ते तक नही आ रहे हैं।
पाइप लाइन है लेकिन कनेक्शन नहीं
ग्वालियर के आदित्यपुरम क्षेत्र के पटेल नगर इलाके के निवासी पानी की एक-एक बूंद के लिए परेशान है। यहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की अमृत योजना के तहत पाइप लाइन तो डाली गई, लेकिन उसके कनेक्शन नहीं किए गये हैं, जिससे लोग पानी के लिए परेशान हैं। लोगों का कहना है कि 15 दिन में एक बार सरकारी टैंकर आता है। उससे कुछ दिन के लिए तो पानी स्टोर हो जाता है, बाद में परेशान होना पड़ता है। स्थानीय निवासियों का दर्द है कि जब लोग यहां अपनी बेटियों के रिश्ते के लिए आते हैं, तो शादी के लिए मना कर देते हैं, क्योंकि यहां मोहल्ले में ज्यादातर लोग बाल्टी लेकर पानी की तलाश में घूमते हुए नजर आते हैं। ऐसे में लड़की वाला यह कहकर रिश्ता टाल देता है कि हम दहेज भी देंगे और हमारी बेटी को यहां आकर पानी भी नहीं मिलेगा। इससे अच्छा है कि हम अपनी बेटी का रिश्ता कहीं गांव में ही कर दें जहां कम से कम पीने को पानी तो मिले।
700 रुपए में मिलता है एक टैंकर पानी
स्थानीय लोगों ने बताया कि यदि वह अपने पैसे से टैंकर मंगाते हैं तो इसके लिए उन्हें 600 से 700 चुकाने पड़ते हैं। पानी की तलाश में लगे लोग काम पर भी नहीं जा पाते हैं। सुबह से लेकर शाम तक पानी का इंतजार करते रहते हैं, वहीं घर की महिलाएं भी टैंकर आने पर बाहर ड्रम में पानी भरती हैं। उसके बाद बाल्टियों के जरिए उसे टंकी तक पहुंचाया जाता है। उनका कहना है कि जिस दिन पानी आता है उस दिन सारा दिन पानी जमा करने में ही गुजर जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले शौचालय की समस्या होती थी, वह खत्म हुई तो अब नई समस्या खड़ी हो गई है जिसने सामाजिक मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।
अधिकारियों को बताने के बाद भी नहीं हो रहा कनेक्शन
स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से पानी की समस्या को लेकर कई बार मुलाकात की, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। समस्या की विकरालता से जब जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया गया, तो उन्होंने अमृत की योजना से पाइप लाइन को जोड़ने और क्षेत्र की पानी की समस्या के समाधान के लिए गंभीर प्रयास करने का आश्वासन दिया, लेकिन ये इन प्रयासों का ही नतीजा है कि यहां पाइप लाइन तो है, लेकिन अभी तक उसका कनेक्शन नहीं हो सका है।
700 करोड़ खर्च, हल नहीं हुई समस्या
ऐसा नहीं है कि ग्वालियर शहर इस बार पढ़ रही भीषण गर्मी में ही पानी की समस्या से जूझ रहा हो कई वार्डों में हर साल गर्मियों में यही हाल देखने को मिलता है। 700 करोड रुपए खर्च करने के बावजूद भी लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। अब इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज सरकार और यहां के दिग्गज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर पानी की समस्या हल करने के लिए सालों से लोगों को गुमराह कर रहे हैं, लेकिन हालात यह है कि शहर को पानी अभी तक नहीं मिल पाया है।
अधर में लटका चंबल प्रोजेक्ट
शहर की पानी की समस्या दूर करने के लिए लाया जा रहा चंबल प्रोजेक्ट अभी भी अधर में लटका है। वहां से पानी लाने की कवायद सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है। वहीं पानी की समस्या को लेकर नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल ने बताया मामला संज्ञान में लाया है तुरंत पानी की समस्या को दूर किया जाएगा इसके साथ ही उन्होंने तत्काल अधिकारियों को निर्देशित कर पानी की समस्या को दूर करने के निर्देश दे दिए हैं, लेकिन अब देखना होगा कि ग्वालियर के जिस इलाके में पानी की समस्या है वह कब तक दूर हो पाती है।