2.5 C
New York
Thursday, Dec 7, 2023
DesRag
राज्य

कांग्रेस प्रत्याशियों को नहीं मिल रहा मोर्चा संगठनों का साथ

देसराग डेस्क।
मध्य प्रदेश में हो रहे स्थानीय निकायों यानि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता अपने प्रत्याशियों के लिए रात-दिन प्रचार कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी स्थानीय नेताओं के भरोसे मोर्चे पर हैं। एक तरफ भाजपा के सभी मोर्चा संगठन के पदाधिकारी प्रदेशभर में सक्रिय हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों को मोर्चा संगठनों का साथ नहीं मिल पा रहा है।

दरअसल, कांग्रेस के मोर्चा संगठनों के पदाधिकारी अपने क्षेत्र में ही व्यस्त हैं। इससे प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार जोर नहीं पकड़ पा रहा है। पार्षद और महापौर पद के लिए पहले चरण के मतदान के लिए महज कुछ दिन बचे हैं। ऐसे में प्रमुख तौर पर सभी 16 नगर निगमों में भाजपा के किलों को भेदने के लिए कांग्रेस के मोर्चा संगठनों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। खबरें मिल रहीं हैं कि इन संगठनों के ज्यादातर प्रदेश पदाधिकारी अपने जिलों में ही भाजपा से मोर्चा ले रहे हैं।

कई पदाधिकारी लड़ रहे चुनाव
प्रदेश कांग्रेस के कुछ मोर्चा संगठनों के अध्यक्ष खुद चुनाव लड़ रहे हैं। इस कारण वे अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल भोपाल और पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाह सतना से महापौर का चुनाव लड़ रहे हैं। युवक कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया की अबतक प्रदेश स्तर पर सक्रियता सामने नहीं आई है। सेवादल अध्यक्ष रजनीश सिंह अपने ही विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत आने वाली नगर परिषद के पार्षद प्रत्याशियों पर फोकस कर रहे हैं। जबकि एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे आधा दर्जन जिलों में मोर्चा संभाल चुके हैं। इन संगठनों में युवक कांग्रेस सोशल मीडिया में सक्रिय है। इंस्टाग्राम में 47,300 और फेसबुक में 28,800 फॉलोअर्स हैं। संगठन के पदाधिकारियों का दावा है कि वे अपने-अपने जिलों में भाजपा से मोर्चा ले रहे हैं।

प्रदेश में महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष कविता पांडेय का कहना है कि पंचायत चुनाव के लिए लगातार डोर टू डोर प्रचार जारी है। मैंने रीवा महापौर और पार्षदों के चुनाव में पूरी ताकत लगा दी है। सतना शहर में डॉली चौरसिया सक्रिय हैं। महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष सीमा सिंह के पति सरपंच का चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए वे वहां काम कर रही हैं। तारा त्रिपाठी भी चुनाव लड़ रही हैं।

सेवादल के पदाधिकारी सक्रिय नहीं
प्रदेश सेवादल में 65 से 70 हजार कार्यकर्ता और सदस्य होने का दावा है। पदाधिकारियों के अभी तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में दौरे शुरू ही नहीं हुए हैं। सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष रजनीश सिंह का कहना है कि सेवा दल के कई पदाधिकारियों को प्रत्याशी बनाया गया है। हमने जिलों में चुनाव प्रभारी बना दिए हैं। मैंने बालाघाट का दौरा कर लिया है। मेरे ही विधानसभा क्षेत्र में नगर पालिका और परिषद है। यहां खड़े प्रत्याशियों के लिए काम कर रहे हैं। वहीं प्रदेश में युवक कांग्रेस चुप है। प्रदेश अध्यक्ष की पसंद का रतलाम से महापौर प्रत्याशी है। इसलिए विक्रांत भूरिया पूरी तरह से मोर्चा संभाले हैं।

संगठनों के अपने-अपने दावे
हालांकि कांग्रेस के मोर्चा संगठनों के पदाधिकारियों का दावा है कि उनके पदाधिकारी पूरी तरह सक्रिय हैं। प्रदेश युवा कांग्रेस के मीडिया चेयरमैन विवेक त्रिपाठी का कहना है कि चुनाव के पहले 65 हजार बूथों पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया, 55 जिलों में 500 पदाधिकारी हैं। प्रदेशभर में 2.5 से 3 लाख कार्यकर्ता और सदस्य हैं। प्रदेश अध्यक्ष मुख्यतौर पर रतलाम और झाबुआ में फोकस कर रहे हैं। प्रदेश संगठन में 4 लाख से अधिक सक्रिय कार्यकर्ता होने का दावा है। संगठन से कई लोग चुनाव लड़ रहे हैं। जिससे अधिकांश पदाधिकारी अपने जिलों तक सीमित हैं। प्रदेश अध्यक्ष मंजुल त्रिपाठी का मोबाइल बंद है। वहीं एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे का कहना है कि उज्जैन में हूं। कल इंदौर में था। भोपाल और सतना में अपने कार्यकर्ताओं को तैनात कर दिए हैं। इंदौर, उजैन, जबलपुर, बालाघाट, मंदसौर, दतिया सहित अन्य जिलों में हमारे संगठन के कार्यकर्ता या उनके परिवार के प्रत्याशी हैं।

गैर विधायकों वाले इलाकों में हालात बेहद खराब
भोपाल में जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं, वहां पार्षद प्रत्याशियों को विधायकों का सहयोग तो मिल रहा है, लेकिन जिन विधानसभा क्षेत्रों में गैर कांग्रेसी विधायक हैं, वहां पर पार्षद प्रत्याशियों की मुश्किलें अधिक बनी हुई हैं। पार्षद प्रत्याशियों का कहना है कि प्रचार में पार्टी पदाधिकारियों का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। वरिष्ठ नेता उनके फोन तक नहीं उठा रहे हैं। पार्टी की जिला इकाई की ओर से प्रत्याशियों को पोलिंग एजेंट की सूची तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।

मंडलम, सेक्टर की खुली पोल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पार्टी की बैठकों में पार्टी संगठन के कमजोर होने की बात कह चुके हैं। संगठन को मजबूत करने के लिए उनके द्वारा अभियान भी चलाया, लेकिन नतीजा जस का तस बना हुआ है। यह खुलासा नगरीय निकाय चुनाव में पूरी तरह से हो रहा है। कांग्रेस के मंडलम, सेक्टर से लेकर पोलिंग बूथ तक के लोगों का पता ही नहीं चल रहा है। पार्षद पद के प्रत्याशियों को ढूंढ़े से भी ब्लॉक अध्यक्ष, मंडलम सेक्टर प्रभारी व पोलिंग बूथ एजेंट नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में प्रत्याशी खुद ही अपने घर-परिवार के सदस्यों और आस-पड़ोस के लोगों के साथ घर-घर प्रचार के लिए दस्तक देने को मजबूर हैै। प्रत्याशियों को पार्टी के पोलिंग बूथ एजेंट की सूची तक पाने के लिए भारी मेहनत करनी पड़ रही है।

Related posts

कांग्रेस जिला अध्यक्ष से अभद्रता करने वाले योगेंद्र तोमर पर चलेगा अनुशासन का डंडा?

desrag

सहायक शिक्षक निकला कई कॉलेजों का मालिक

desrag

कांग्रेस ने तोड़ा 57 साल का रिकॉर्ड: महिलाओं की सुरक्षा नवनिर्वाचित महापौर की पहली प्राथमिकता

desrag

Leave a Comment