ग्वालियर। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की दुश्मनी जग जाहिर है। कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की चालों से ही नाराज होकर सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा था।
संसद में भले ही दोनों नेता एक दूसरे को राजा और महाराजा कहकर एक दूसरे के प्रति सम्मान करते हैं लेकिन दोनों के बीच दुश्मनी की खाई अब तक नहीं पट पाई है। सोमवार रात सिंधिया ग्वालियर आए और उन्होंने दिग्विजय सिंह के एक बयान पर यह कहते हुए टिप्पणी करने से साफ इंकार कर दिया कि दिग्विजय सिंह पर उन्होंने अपनी राय देना बंद कर दिया है। सिंधिया ने यह भी जोड़ा कि अब तो जनता भी दिग्विजय सिंह की टिप्पणियों से इत्तेफाक नहीं रखती है।
कहा तो यह भी जाता है की सिंधिया रियासत और राघोगढ़ रियासत में बरसों पुरानी दुश्मनी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की भी दिग्विजय सिंह से संबंध भी खटास भरे रहे हैं। दिग्विजय सिंह को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया की हालिया टिप्पणी इस दुश्मनी को ही उजागर करती है।