देसराग ब्यूरो
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब जबकि बहुत कम समय बचा है, कांग्रेस ने पार्टी संगठन में कसावट की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मैदानी संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश कांग्रेस जल्द ही अपने दो दर्जन से अधिक जिलाध्यक्षों को उनके पदों से विदाई कर सकती है।
इनमें अधिकांश वे जिलाध्यक्ष हैं, जो लंबे समय से जिलों में पार्टी की कमान सम्हाल रहे हैं। इसके बाद भी वे संगठन को मजबूत करने में असफल रहे हैं, जिसकी वजह से उनके जिलों में संगठनात्मक गतिविधियां बंद पड़ी हुई हैं। जानकारों की मानें तो प्रदेश संगठन के पास ऐसे कई जिलाध्यक्षों की शिकायतें हैं, जिन्होंने निकाय और पंचायत चुनावों के दौरान पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के लिए पूरी ताकत के साथ काम नहीं किया है तो कई जिलाध्यक्षों पर उनकी निष्क्रियता के चलते निकायों में पार्टी के पार्षदों का बहुमत होने के बाद भी अध्यक्ष नहीं बना पाने के आरोप हैं। बताया जा रहा है कि कमलनाथ द्वारा ऐसे नेताओं की सूची तैयार करा ली गई है।
इस सूची को तैयार करने के पहले जिला संगठनों और अपनी स्वयं की टीम की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। इस संबंध में नाथ की प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक से भी बात हो चुकी है। यह बात अलग है कि कार्यकर्ताओं और जिलाध्यक्षों की नाराजगी रोकने के लिए उन्हें लंबे कार्यकाल का हवाला देते हुए बदले जाने की रणनीति बनाई गई है। जिन जिलाध्यक्षों को बदला जाना है, वहां नए और जनाधार वाले कार्यकर्ता को संगठन की कमान दी जाएगी। इसी तरह से विस चुनाव में सिर्फ उन जिलाध्यक्षों को ही टिकट देने का भी निर्णय लिया गया है जो सर्वे में मजबूत प्रत्याशी साबित हो सकते हैं। हालांकि पहले प्रदेश संगठन ने तय किया था कि जिलाध्यक्षों को विस का टिकट नहीं दिया जाएगा।