भोपाल(देसराग)। भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्रांड नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती आज भले ही प्रदेश की सियासत में हाशिए पर हैं, लेकिन उनके वर्तमान तौर तरीके कुछ और कह रहे हैं। उमा भारती एक बार फिर अपने गृह राज्य में सियासी तौर पर सक्रिय होने की तैयारी में हैं। इसके लिए वे शराबबंदी के अभियान को बड़ा हथियार बनाने वाली हैं और उसके आसरे राज्य की सियासत में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने की कावयद में जुट गई हैं। यह बात अलग है कि वे तीन बार तारीखों का ऐलान कर चुकी हैं, मगर यह अभियान अब तक शुरू नहीं हो पाया है।
भाजपा को सत्ता में लाने का श्रेय
राज्य में वर्ष 2003 में भाजपा को सत्ता में लाने का श्रेय उमा भारती को जाता है, यही कारण है कि मुख्यमंत्री भी बनी थीं मगर हुबली की एक अदालत के फैसले के चलते वे ज्यादा दिन तक इस पद पर नहीं रह पाई थीं। बाद में उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की, परंतु उनकी यह कोशिश पूरी नहीं हुई।
2023 के पहले सियासी जमीन तलाशतीं उमा
आगे चलकर उमा भारती ने भाजपा छोड़कर भारतीय जनशक्ति पार्टी भी बनाई, यह पार्टी सियासी तौर पर ज्यादा ताकतवर नहीं बन पाई, तो बाद में उनकी भाजपा में वापसी हुई। भाजपा में वे वापस तो आ गईं, मगर उनका गृह राज्य ही उनके हाथ से निकल गया और उन्हें उत्तर प्रदेश से लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया। अब एक बार फिर उन्होंने अपने गृह राज्य में वर्ष 2023 के विधानसभा और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जमीन तलाशना शुरू कर दी है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने नहीं किया उपयोग
उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव में भी पार्टी ने उनका ज्यादा उपयोग नहीं किया, तो गृह राज्य में भी उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है। अब एक बार फिर वे अपने गृह राज्य की तरफ रुख करने के संकेत दे रही हैं। वहीं, बुंदेलखंड को योजनाएं दिलाने का श्रेय न मिलने का उन्हें अफसोस भी है। छतरपुर में केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में उनका दर्द भी बाहर आ गया, उन्होंने यहां तक कह दिया- “काम मैं करती हूं और क्रेडिट किसी और को मिल जाता है सरकार मैं बनाती हूं मगर चलाता कोई और है”।
शराबबंदी के अभियान अब तक नहीं हुआ शुरू
उमा भारती तीन बार राज्य में शराबबंदी के अभियान की तारीख का ऐलान कर चुकी हैं, मगर यह अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इस अभियान को लेकर कांग्रेस की ओर से लगातार हमले होते रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा- ” प्रश्न था क्या मैं शराबबंदी की बात करके शिवराज जी को शर्मिदा करके क्या मैं उनको बैकफुट पर ला रही हूं? मेरा उत्तर यह था- शिवराज को शर्मिंदा करने से शराबबंदी नहीं होगी। मैं तो आपस की बातचीत से ही समाधान निकाल कर कई बार इस मामले में बैकफुट पर जाकर शर्मिदा हो जाती हूं”। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उमा भारती ने कहा, “शराबबंदी कोई बैकफुट या फ्रंटफुट क्रिकेट का खेल नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों की जीवन रक्षा एवं महिलाओं की जीवन रक्षा का मुद्दा है। मैं इसे अपने अहंकार का मुद्दा नहीं बनाऊंगी, किंतु मध्यप्रदेश में शराबबंदी करवा के रहूंगी”।
उमा भारती के करीबियों का कहना है कि राज्य में उनके समर्थक हर तरफ हैं और राज्य में भाजपा की सत्ता होने के बाद भी उन्हें सियासी तौर पर वह महत्व हासिल नहीं दिया जा रहा है, जिसके वे हकदार हैं। लिहाजा उमा भारती राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ अपना प्रभाव दिखाना चाहती हैं, ताकि आगामी समय में होने वाले पंचायत, नगरीय निकाय और विधानसभा चुनाव में अपने समर्थकों को उम्मीदवार बनवाने में सफल हो सकें।
30 साल पुराने भजन से चढ़ा सियासी पारा
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भजन के वीडियो और उनकी प्रतिक्रिया से मध्य प्रदेश में सियासी पारा अचानक चढ़ गया है। मंगलवार को ट्विट कर उमा भारती ने एक वीडियो साझा किया और लिखा कि मैं कोई बात भूल नहीं सकती। उनके मुताबिक ये भजन 30 साल पहले शिवराज सिंह चौहान ने सुना था, तब से उन्हें पसंद है।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि उन्होंने (शिवराज सिंह चौहान) दो दिन पहले ये भजन सुनाने का आग्रह किया था। मैंने तुरंत उस भजन की रिकार्डिंग कर उन्हें भेज दिया है। उमा ने लिखा कि आश्चर्य इस बात का है कि 30 साल बाद भी वह भजन ज्यों का त्यों याद रहा। इसके अगले ट्विट में लिखा कि आप लोग समझ लीजिए कि मैं कोई बात भूल नहीं सकती हूं। दरअसल, उमा भारती के सुर मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन और सत्ता को कई मामलों पर असहज करते रहे हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि पार्टी को सत्ता मैं दिलाती हूं, राज कोई और करता है। उन्होंने 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा जताई है, जिससे संगठन का बड़ा धड़ा चिंतन की मुद्रा में देखा जा रहा है। भजन के बोल पर सभी का ध्यान-वीडियो में उमा भारती जो भजन गुनगुना रही हैं, उसके बोल हैं, तेरे चरण कमल में श्याम लिपट जाउं रज बन के। इसमें कमल को लेकर चर्चाएं ज्यादा हैं। उमा भारती शराबबंदी को लेकर कई बार अभियान शुरू करने की घोषणा कर चुकी हैं, लेकिन हर बार तय तारीख से पहले ही उन्हें अभियान टालना पड़ता है। 14 फरवरी से भी उन्होंने शराबबंदी अभियान की घोषणा की थी, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। इधर, कांग्रेस भी शराबबंदी के मुद्दे पर उनका साथ देने की घोषणा करती रही है। लेकिन तारीखें बढ़ाने पर वही उमा भारती को घेरने लगी है
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