भोपाल। मध्य प्रदेश में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी सामने आ रहा है। बीते दिनों जैन मुनि विहर्ष महाराज ने भी उन्हें मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया था। प्रदेश में अभी से मामा से ज्यादा महाराज की गूंज दिखाई दे रही है। आलम यह है कि ग्वालियर के साथ पूरे प्रदेश में ज्यादातर कार्यक्रम उनकी गैर मौजूदगी में नहीं होते हैं। पिछले दो साल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के चार प्रमोशन हुए हैं। इससे भाजपा में लगातार उनका कद बढ़ रहा है।
हाल ही में ग्वालियर आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव में पहुंचे जहां उन्होंने मुनि विहर्ष सागर ने उन्हें बगैर कोई देर लगाए मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दे डाला। बस फिर क्या था, मीडिया ने उन्हें मुख्यमंत्री ही घोषित कर दिया। इस आशीर्वाद ने मध्य प्रदेश का सियासी पारा गरमा दिया।
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया की एंट्री के बाद से ही सियासी हलकों में यह कयास लगने लगे कि सिंधिया मध्यप्रदेश में भाजपा का मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। हालांकि मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए प्रदेश में भाजपा के पास कोई ऐसा नाम नहीं है जो मतदाताओं को अपनी ओर खींच सके। ऐसे में सिंधिया एक चेहरा हो सकते हैं। वह युवा हैं और लोकप्रिय भी। ग्वालियर चंबल संभाग में खासा दबदबा रहते हैं और मालवा क्षेत्र में भी उनकी पकड़ है। कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा के नाम सीएम पद की दावेदारी के लिए कई बार उछल चुके हैं। लेकिन यह ऐसे नाम है जिन पर आलाकमान बड़ा जोखिम नहीं ले सकता है।
मामा की लोकप्रियता घटी!
किसी समय प्रदेश भर में मामा के नाम से मशहूर हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता का ग्राफ गिरा है इसमें कोई संदेह नहीं है। भाजपा में सभी गुटों में संतुलन बनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी इसी खूबी के चलते लंबे समय तक मध्यप्रदेश में एकछत्र राज किया और अभी भी कर रहे हैं। मैदानी हकीकत देखी जाए, तो शिवराज सिंह चौहान में अब वह बात नहीं वही जो कभी हुआ करती थी।
टकराव के हालात
कांग्रेस की तरह भाजपा में भी मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर टकराव के हालात बन सकते हैं। शिवराज के विकल्प के रुप में सिंधिया की तुलना में शिवराज खेमे की पहली पसन्द केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर हो सकते हैं। फिर नरोत्तम मिश्रा भी इस आसंदी के लिए अपना दावा आसानी से नहीं छोड़ेंगे। अलबत्ता इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और भाजपा प्रदेश अध्यख विष्णुदत्त शर्मा भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। यह सभी नाम सत्ता और संगठन के बड़े चेहरों के रुप में गिने जाते हैं। हालांकि अंतिम फैसला संगठन का ही होगा।
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