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Tuesday, Sep 26, 2023
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यूपी चुनाव के बाद एमपी में भाजपा-कांग्रेस में होगा बदलाव!

मुकेश तिवारी
भोपाल (देसराग)।पांच राज्यों के चुनाव के पश्चात मध्य प्रदेश की राजनीति में व्यापक फेरबदल हो सकता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों का राष्ट्रीय नेतृत्व लंबे अंतराल से प्रदेश की राजनीति में बदलाव पर मंथन कर रहा है। कांग्रेस में वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और भाजपा में मध्य प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने अपने संगठनों को सशक्त बनाना चाहते हैं ।
भाजपा सरकार में इस वजह से उसके समक्ष सर्वाधिक चुनौतियां हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सरकार और संगठन दोनों की सर्जरी का विचार रखता है क्योंकि आंतरिक सर्वे के मुताबिक बड़ी संख्या में विधायक जन उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं । आर एस एस की रिपोर्ट भी इसे अलग नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा अगले चुनाव में बड़ी संख्या में नए चेहरों के साथ मैदान में उतरेगी। सरकार में सर्जरी के क्रम में कुछ मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं।
भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व कुछ मंत्रियों को संगठन में काम करने के लिए भेजना चाहता है। संगठन में भी जिला और संभाग स्तर पर आगामी चुनाव के मद्देनजर रखकर कुछ फेरबदल संभावित है। भाजपा यह कार्य अगले 2 से 3 माह में पूर्ण कर लेना चाहती है। इसके पश्चात सरकार पार्टी की आवश्यकता के हिसाब से नई और चुनावी योजनाओं पर काम करेगी। इधर कांग्रेस में इन दिनों संगठन के चुनाव की तैयारी चल रही हैं। पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को ही अगले विधानसभा चुनाव का चेहरा बनाने की मंशा रखती है। लिहाजा उनका फिर से अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। कमलनाथ अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संगठन में और अधिक फ्री हैंड चाहते हैं। यानी वह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह , वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी , सज्जन वर्मा , अरुण यादव , अजय सिंह जैसे नेताओं का संगठन में हस्तक्षेप हटाना चाहते हैं। राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद जब प्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव होंगे तो कमलनाथ टिकट वितरण में अपना दबदबा रखना चाहते हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसा करके विधानसभा चुनाव के लिए भी पार्टी के भीतर नीचे तक संदेश देना चाहते हैं कि प्रदेश में पार्टी का हाईकमान सिर्फ और सिर्फ वही हैं।
कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस से पूरी तरह सहमत है कि राज्य में अनेक कांग्रेस और तमाम सारे गुटों के स्थान पर पार्टी एक नेता के पीछे खड़ी नजर आए। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मध्य प्रदेश में बेहतर परिणाम चाहिए इसके लिए वह कमलनाथ को अपनी तरह से मध्यप्रदेश में संगठन चलाने की छूट देने के लिए रजामंद है। यह भी लगभग तय है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के भीतर एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू होगा और कमलनाथ विधायक दल के नेता का पद छोड़ेंगे। इसके दो मायने हैं पहला पार्टी के नेता प्रदेश अध्यक्ष बनने की मृगतृष्णा छोड़ दें, दूसरा अब जो विधायक हैं वे विधायक दल का नेता बनने के लिए दौड़ में शामिल हो सकते हैं यानी जल्दी कांग्रेस में डॉक्टर गोविंद सिंह , मुकेश नायक , लक्ष्मण सिंह,जीतू पटवारी, बाला बच्चन, सज्जन सिंह वर्मा के मध्य कड़ा मुकाबला होने वाला है। जीतू पटवारी को दिल्ली के कद्दावर नेता मदद कर सकते हैं तो बाला बच्चन और सज्जन सिंह वर्मा को कमलनाथ का आसरा है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

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