भोपाल(देसराग)। सहरिया जनजाति के देवलोक पर अभी तक कोई उल्लेखनीय जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी इन जनजातियों के देवलोक केन्द्रित एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन करने जा रही है। इस बारे में अकादमी निदेशक डॉ. धर्मेन्द्र पारे ने बताया कि जनजातीय देवलोक में अन्तर्निहित बोध को इस संगोष्ठी के माध्यम से विस्तार मिलेगा। प्रतिभागियों के माध्यम से इस देवजगत के सम्बन्ध में और भी बेहतर समझ विकसित हो सकेगी। साथ ही काल के प्रवाह में जो मूल्यवान विचार कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं उनको हम समकाल में समझ सकेंगे। संगोष्ठी जनजातियों के उद्भव की कथाएं (ईश्वर, देवता, धरती, जीवन, वृक्ष-वनस्पति, जीव-जगत,नदी-पर्वत,चर-अचर संबंधी), देवलोक, व्रत-त्यौहार, पर्व, अनुष्ठान, पूजन, संस्कार, शिल्प और कला, विश्वास और मान्यतायें जैसे बिन्दुओं पर केंद्रित होगी। साथ ही संगोष्ठी सहरिया जनजातीय देवलोक पर 27 फरवरी 2022 को जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर सुबह 10.00 बजे से होगी। जिसका शुभांरभ कुलपति, जीवाजी विश्वविद्यालय प्रो. अविनाश तिवारी करेंगे। इस संगोष्ठी का समन्वयन विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विज्ञान जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर डॉ. हरेंद्र शर्मा, द्वारा किया जा रहा है। इस संगोष्ठी में रामकुमार वर्मा- भिलाई, खेमराज आर्य-श्योपुर, डॉ.परवीन वर्मा-श्योपुर, डॉ. योग्यता भार्गव-अशोकनगर, डॉ.संगीता सिंह-श्योपुर, डॉ. करण सिंह-पिछोर, डॉ वारिश जैन-विदिशा, गौरीशंकर गुप्ता-अशोकनगर, लालजीराम मीणा-विदिशा, देवेश शर्मा-मुरैना, सुश्री इतिशा दांगी-ग्वालियर वक्ता होंगी।
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