भोपाल (देसराग)। गांव देहात में एक कहावत कही जाती है कि “सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का”। यह कहावत मध्य प्रदेश के सियासी परिदृश्य पर सटीक बैठती दिखाई दे रही है। दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा के एक विधायक सचिन बिरला चार महीने पहले उपचुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए भाजपा ने अपने साथ कर लिया था और बिरला ने भी कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया था। मगर आज तक बिरला विधानसभा सचिवालय के रिकॉर्ड में कांग्रेस विधायक बने हैं और विधायक की सभी सुविधाएं मिल रही हैं।
खंडवा लोकसभा उपचुनाव में बड़़वाह विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक सचिन बिरला ने 24 अक्टूबर को बेड़िया की चुनावी सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया था। बिरला ने इसके बाद भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार भी किया था। आज उनके फेसबुक पेज पर भाजपा का चिन्ह दिखाई दे रहा है और उनके पेज पर विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों के भूमिपूजन, समीक्षा की बैठकों में वे दिख रहे हैं। फेसबुक पेज पर उनकी कांग्रेस विचारधारा की पोस्ट की जगह वीरसवारकर को नमन जैसी पोस्ट दिखाई दे रही हैं।
सदस्यता समाप्त करने के आवेदन पर आवेदन
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद सचिन बिरला की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिए पार्टी ने विधानसभा सचिवालय को आवेदन किया था, लेकिन आधे-अधूरे आवेदन से सचिन की विधायकी पर फैसला नहीं हो सका। विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेशप्रताप सिंह ने बताया कि कांग्रेस ने जो आवेदन दिया था, उसमें शपथ पत्र और अन्य कमियां थीं जिससे उस पर फैसला नहीं हो सका। कुछ दिन पहले पार्टी के विधायक रवि जोशी की ओर से सचिन बिरला की सदस्यता समाप्ती के लिए आवेदन किया है और उसका परीक्षण किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम उस पर फैसला लेंगे।
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