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Tuesday, Mar 28, 2023
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जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्रों ने किया ऐतिहासिक स्थलों का किया भ्रमण

ग्वालियर (देसराग)। जीवाजी विश्वविद्यालय के पुरातत्व एवं इतिहास विभाग के छात्रों ने मुरैना जिले के मितावली, पड़ावली एवं बटेसर आदि ऐतिहासिक स्थलों का शैक्षणिक भ्रमण इतिहास विभाग के समन्वयक डॉ.शान्तिदेव सिसोदिया एवं विभाग के अतिथि विद्वान डॉ.मीनू रमन, डॉ.जयंती शर्मा, डॉ.नंदनी पाठक एवं रचना पाल की देखरेख में किया।
इस अवसर पर छात्रों को ऐतिहासिक स्थलों का राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व के साथ-साथ वर्तमान वैश्विवीकरण के युग में इन ऐतिहासिक स्थलों का एक पर्यटन उद्योग में कैसे योगदान हो सकता है। इसके संबंध में डॉ. सिसोदिया ने प्रकाश डालते हुए बताया कि हमें अपने ऐतिहासिक एवं पुरातत्व धरोहरों के संरक्षण के लिए जन सामान्य में जन चेतना एवं जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। इन ऐतिहासिक स्थलों पर पर्यटकों को कैसे आकर्षित किया जाए इसके लिए इन स्थलों पर सुरक्षा, पेयजल एवं आधार भूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने की अतिआवश्यकता है। मितावली में चौसठ योगिनी का मंदिर जो वृत्ताकार भूयोजना पर निर्मित है। जिसके केंद्र में स्तम्भों से युक्त शिव मंदिर निर्मित किया गया है। इस मंदिर में चौसठ योगिनियों के लिए चौसठ कोष्ठ बनाए गए हैं, जिनमें वर्तमान में शिवलिंग स्थापित हैं। यह मंदिर भारत वर्ष में अद्वितीय है, क्योंकि ऐसे मंदिर देश में 08 मंदिर हैं, जिनमें ओड़ीशा, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में हैं। इस मंदिर में शैव एवं शाक्त संप्रदाय से संबंधित शिक्षा एवं दीक्षा दी जाती थी, जिसका निर्माण कच्छपघात राजवंशी नरेश देवलाल के द्वारा कराया गया था। साथ ही अतिथि विद्वान डॉ.मीनू रमन एवं जयंती शर्मा ने बटेसर के मंदिर समूह का छात्रों को ऐतिहासिक एवं सामाजिक महत्त्व को रेखांकित किया एवं रचना पाल एवं नंदनी पाठक ने मंदिरों के सांस्कृतिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि तात्कालिक समाज में इन स्थलों के निर्माण में एवं इनके विकाश में अतुलनीय योगदान रहा है। साथ ही छात्रों को बताया कि आपकी एक पुरातत्व एवं इतिहास के छात्र होने के नाते आपकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है कि आप समाज में अपनी एतिहासिक धरोहरों को अक्षुण्ण बनाए रखने में समाज में चेतना एवं जागरूकता फैलाए एवं नवीन शोध कार्य करें जिससे कि इन स्थलों के बारे में नवीन तथ्य समाज एवं देश के सामने आयें।
इस शेक्षणिक भ्रमण दल में 30 छात्रों ने भाग लिया। इस अवसर पर विभाग से रवाना होते समय कुलपति प्रो.अविनाश तिवारी ने छात्रों से कहा कि आप अपने भ्रमण की एक विस्तृत प्रतिवेदन तैयार करें, जिसे विभाग में जमा करें।

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