भिंड (देसराग)। ग्वालियर-चम्बल अंचल की सियासत में भिण्ड जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष की आसंदी को लेकर इन दिनों कांग्रेस के अन्दर सुगबुगाहट ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। मामला भिण्ड जिला महिला कांग्रेस के अध्यक्ष की आसंदी पर नियुक्ति का है। बीते दिनों श्रीमती रेखा भदोरिया की भिंड जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष की आसंदी पर ताजपोशी का फरमान महिला कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश मुखिया अर्चना जायसवाल द्वारा जारी किया गया। फरमान जारी हुए अभी कुछ ही घण्टे बीते थे कि इस फरमान पर स्थगनादेश जारी हो गया अर्थात श्रीमती भदौरिया की नियुक्ति पर रोक लग गई।
हालांकि इससे पहले भी श्रीमती भदोरिया अध्यक्ष बनते-बनते रह गई थीं। अब इसे लेकर सियासत के पंडित अपनी अलग ही राय रख रहे हैं। उनकी माने तो श्रीमती भदौरिया का दुर्भाग्य दो कदम आगे चलता है। सियासत के पंडित इसके लिए तर्क यह देते हैं कि श्रीमती भदौरिया की अध्यक्ष की आसंदी को लेकर नियुक्ति में बार-बार बाधाएं आ रही हैं। पूर्व में इन्हें भिंड में महिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के लिए तत्कालीन मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर ने कवायद की थी, तब राठौर की सिफारिश पर प्रदेश महिला कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष मांडवी चौहान ने अपनी सहमति की मुहर लगाई, लेकिन आदेश जारी होने से पहले मांडवी चौहान का असामयिक निधन हो गया। यही नहीं बृजेंद्र सिंह राठौर भी कोरोना महामारी का शिकार होकर चल बसे अतः उनकी नियुक्ति का मामला अधर में लटक गया।
इस बार पुनः तत्कालीन मंत्री डाक्टर गोविन्द सिंह की सिफारिश पर श्रीमती रेखा भदौरिया को अध्यक्ष बनने का मौका मिला। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने उनकी नियुक्ति का फरमान भी जारी कर दिया। लेकिन यहां भी उनका दुर्भाग्य आड़े आ गया और वह पदभार ग्रहण करतीं, इससे पहले उन्हें अध्यक्ष आसंदी पर बिठाने वाली अर्चना जायसवाल प्रदेश अध्यक्ष की आसंदी से न केवल खुद रुखसत हो गईं, बल्कि उनके द्वारा की गई नियुक्तियां भी खटाई में पड़ गई हैं।