भोपाल(देसराग)। प्रदेश में महज दस माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसके मद्देनजर प्रदेश संगठन को तैयार करने के लिए कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। इस बदलाव के लिए पार्टी के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की गठित होने वाली टीम का इंतजार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस टीम में मप्र के कई युवा नेताओं को मौका दिया जाने वाला है। इसकी वजह से ही बदलाव का मामला अटका हुआ है।
प्रदेश से जिन युवा चेहरों को शामिल किए जाने की चर्चा है उनमें प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं विधायक जीतू पटवारी, नकुलनाथ, जयवर्धन सिंह, तरुण भनोत, सचिन यादव, विक्रांत भूरिया, हिना कांवरे, कुणाल चौधरी के नाम शामिल हैं। माना जा रहा है कि खरगे की टीम में प्रदेश से दो बुजुर्ग नेताओं को भी शामिल किया जाएगा, जिसमें से एक नाम पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का तय है, जबकि एक अन्य नाम अभी तय नही है। इनमें कांति लाल भूरिया से लेकर राजमणि त्रिपाठी तक का नाम चर्चा में बना हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में जातिगत समीकरण साधने के हिसाब से ही चेहरों को टीम में शामिल किया जाएगा। इसकी वजह है प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव। इस वजह से ही प्रदेश से जिन चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना जताई जा रही है उसमें आदिवासी, पिछड़ा वर्ग के युवाओं को विशेष महत्व दिया जा सकता है। दरअसल बीते रोज प्रदेश कांग्रेस संगठन में जल्द ही बड़े बदलाव के लिए दिल्ली में उच्च स्तर की बैठक की गई, जिसमें मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह और दिग्विजय सिंह भी शामिल हुए। बैठक में विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस संगठन में जरूरी बदलाव पर चर्चा की गई। इस दौरान प्रदेश से लेकर ब्लॉक अध्यक्षों तक के कामकाज को लेकर चर्चा की गई। इसके अलावा प्रदेश के कई जिलों में किए जाने वाले बदलावों पर भी मंथन किया गया। इसमें भोपाल सहित कई बड़े और महत्वपूर्ण जिले भी शामिल हैं।
इन नेताओं को जगह मिल सकती है
मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पार्टी का बड़ा चेहरा हैं। खरगे की टीम में दिग्विजय सिंह को अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। दिग्विजय सिंह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मुख्य समन्वयक भी हैं। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। वे मप्र सरकार के खिलाफ लगातार मुखर होकर आक्रामक रहते हैं। ग्वालियर से पहली बार विधायक बने प्रवीण पाठक श्रीमंत के खिलाफ सीधे हमले कर रहे हैं। अंचल में श्रीमंत के खिलाफ मुखर और आक्रामक रहने और विधानसभा में उनकी सक्रियता को देखते हुए युवा विधायक के तौर पर उन्हें राष्ट्रीय टीम में शामिल किया जा सकता है।
प्रत्याशी चयन का फार्मूला
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी का चयन कांग्रेस सहमति के आधार पर करेगी। जिला प्रभारी पहले सभी सहयोगी संगठनों से नाम लेंगे। जिला इकाइयों में इन पर गुण-दोष के आधार पर विचार-विमर्श होगा और फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के समक्ष नाम रखे जाएंगे। इसमें जिनके नाम आएंगे, उन सभी के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ एक-एक करके बैठक करेंगे। यही पद्धति नगरीय निकाय चुनाव में अपनाई गई थी, जिससे पार्टी को महापौर के चुनाव में सफलता मिल चुकी है। हाल ही में कमलनाथ ने जिला प्रभारियों की बैठक लेकर उन्हें प्रत्याशी चयन के लिए सहयोगी संगठनों से फीडबैक लेने के निर्देश दिए हैं। नाथ ने अपने स्तर से सर्वे कराना प्रारंभ कर दिया है। इसमें वर्तमान विधायकों की स्थिति और संभावित प्रत्याशी की जानकारी ली जा रही है।
ग्वालियर-चंबल पर जोर
दरअसल पार्टी का पूरा जोर ग्वालियर-चंबल अंचल पर विशेष है। इस अंचल में श्रीमंत और उनके समर्थकों द्वारा एक साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की वजह से पार्टी का पूरा संगठन ही समाप्त हो गया था, जिसे मजबूत करने की चुनौती है। दरअसल श्रीमंत समर्थक जो विधायक भाजपा में गए थे, उनमें से अधिकांश विधायक इसी अंचल के हैं। श्रीमंत और उनके समर्थक विधायकों की वजह से ही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी, जिसकी वजह से श्रीमंत और उनके समर्थक विधायक कांग्रेस के निशाने पर खासतौर से हैं। लिहाजा इस अंचल में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए फेरबदल किया जाना है। बैठक में जिन जिलों के अध्यक्षों को बदले जाने की चर्चा की गई है उनमें ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, निवाड़ी, मुरैना, अशोकनगर, श्योपुर सहित करीब डेढ़ दर्जन जिले शामिल हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो जिलाध्यक्षों की नई सूची नए साल के पहले हफ्ते में जारी की जा सकती है।
13 जिलों में नहीं है कांग्रेस का विधायक
प्रदेश के कई इलाकों में कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। इनमें खासतौर पर विंध्य और बुन्देलखंड अंचल शामिल हैं। यही नहीं सूबे के 13 जिले ऐसे हैं जिनमें कांग्रेस का कोई भी विधायक नहीं है। इनमें टीकमगढ़, निवाड़ी, रीवा, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, हरदा, नर्मदापुरम, सीहोर, खंडवा, बुरहानपुर, नीमच और मंदसौर जिले शामिल हैं। इन जिलों में 42 विधानसभा की सीटें आती हैं। इस वजह से इस बार कांग्रेस इन जिलों पर खासतौर फोकस कर रही है।
बूथ मैनेजमेंट पर जोर
लंबे समय से जिन सीटों पर कांग्रेस हार रही है, उनमें अगले एक साल तक ब्लॉक, मंडलम, सेक्टर कमेटियों से लेकर बूथ की टीम तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। यही नहीं इस बार पार्टी द्वारा लगातार हारने वाली सीटों के बूथ पर दो तरह की टीमें तैयार की जा रही हैं। इनमें कांग्रेस की ओर से बूथ कमेटी और युवक कांग्रेस की ओर से डिजिटल बूथ बनाकर युवाओं की टीम तैयार की जा रही है। इस बार जो टीम तैयार की जा रही है उसमें विधानसभा के अलावा लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा जा रहा है।