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Thursday, Dec 7, 2023
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राज्य

बेटियों का दर्द समझेगी कमलनाथ की कांग्रेस!

भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में महज चंद महीने ही रह गए हैं। ऐसे में अब प्रदेश में राजनैतिक दलों द्वारा चुनावी तैयारियों के लिए राजनैतिक बिसात बिछाना शुरू कर दी गई है, लिहाजा कांग्रेस ने भी आधी आबादी को साधने के लिए तमाम तरह के कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत पार्टी ने तय किया है कि महिला मोर्चा भी इस मामले में अहम भूमिका निभाए। यही वजह है की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अब बहन बेटियों का दर्द समझने का जिम्मा महिला विंग को सौंपना तय कर लिया है।

इस काम को करने के लिए अब महिला कांग्रेस की टीम तेज तर्रार नेत्रियों को यह काम सामूहिक रुप से सौंपने जा रहा है। इसके लिए बाकायदा पार्टी के आला नेताओं ने रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है। दरअसल यह कदम पार्टी ने चुनाव से पहले प्रत्येक घर के किचन तक पहुंच बनाने के लिए उठाने की तैयारी की है। इसको लेकर हाईटेक, शिक्षित और तेजतर्रार युवतियों की टीम तैयार की जा रही है। महिलाओं के दल को पार्टी की ओर से महंगाई, बेरोजगारी और महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर फोकस करने को कहा जाएगा। यह वे मामले हैं जिनसे महिलाएं सीधे पार्टी से जुड़ सकती हैं। इस दौरान खासतौर पर महंगाई को पूरी तरह सें चर्चा के केन्द्र में रखा जाएगा।

दरअसल किचिन का बजट महिलाओं के हाथों में होता है और मौजूदा दौर में जारी महंगाई की वजह से लगभग हर घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। तेल-मसालों से लेकर दालों तक के दाम आसमान को छू रहे हैं। यही नहीं गैस सिलेंडर ने तो भोजन बनाना तक बेहद मुश्किल कर रखा है। इस समय रसोई की अनेक वस्तुओं के भाव दोगुने हो गये हैं। ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिसके भाव नहीं बढ़े हों। पिछले एक साल में किचन के खर्च में 35 से 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है। यदि किसी परिवार की किचन का खर्च 8 हजार रुपये था, तो वह अब बढ़कर दस से साढ़े 11 हजार रुपये तक हो गया है। पार्टी की तैयारी प्रदेश में लगभग एक हजार महिलाओं की टीम तैयार करने की है।

महिलाओं के जरिए सबसे बड़ा फोकस महंगाई और बेरोजगारी पर किया जाएगा। महिलाएं आराम से किसी के घर में अंदर तक जा सकती हैं। मौजूदा दौर में महंगाई से हर तबका कराह भी रहा है। दल से जुड़ी महिलाएं किचन तक पहुंचकर पहले और अब की महंगाई पर महिलाओं से बात करेंगी और इसके लिए भाजपा की सरकार की नाकामी के रुप में पेश करेंगी। इसके अलावा बेरोजगारी भी अहम मुद्दा होगा, क्योंकि अब हर घर में शिक्षित युवतियां मौजूद हैं। वे हाईटेक भी हैं और रोजगार की दरकार उन्हें भी है। इसलिए युवकों और युवतियों की पढ़ाई व डिग्री से चर्चा शुरू कर उसे बेरोजगारी और सरकार की नाकामी के मुद्दे पर खत्म किया जाएगा। महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ होने वाला अत्याचार और उनकी सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है।

इसके साथ ही कर्मचारियों की पेंशन बंद करने का मामला, भारी-भरकम आने वाले बिजली के बिल और किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर भी पार्टी की महिलाएं सीधा संवाद करेंगी। क्योंकि कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली, बिजली का बिल आधा करने और किसानों की कर्जमाफी का वादा मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल नाथ जनता से पहले कर चुके हैं।

समाजों को साधने का जतन
प्रदेश में कमलनाथ की टीम द्वारा अब विभिन्न समाजों को साधने के भी प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। इसके तहत उन समाजों पर खासतौर पर फोकस किया जाएगा, जिनके मतदाताओं की संख्या अधिक है। इसके लिए समाज पर पकड़ रखने वाले लोगों से खासतौर पर बात करने की रणनीति बनाई गई है। इस तरह का क्रम चुनाव के पहले तक पूरे प्रदेश में चलाया जाएगा। इनमें कई वर्ग तो ऐसे हैं जिन्हें भाजपा के परंपरागत वोट बैंक के रुप में देखा जाता है। इसकी शुरूआत कांग्रेस मांझी समाज से करने जा रही है। इसके बाद अन्य समाज के लोगों के साथ इसी तरह से चर्चा की जाएगी।

चौतरफा तैयारी
मध्यप्रदेश में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब एक साल से भी कम का वक्त बचा है साल 2018 में सत्ता पाने और उसके बाद महज सवा साल में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस इस बार बड़ी तैयारी में जुटी है। कांग्रेस के नेता मध्यप्रदेश और राजस्थान के कांग्रेस की सरकार से तुलना कर रहे हैं। अगर पार्टी के पास विधायकों की संख्या ज्यादा होती तो राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश की सरकार भी बच जाती। इसलिए कांग्रेस पार्टी इस बार आदिवासियों और किसानों के साथ महिलाओं पर फोकस कर रही है। ओबीसी का कार्ड कांग्रेस पहले खेल चुकी है। यही नहीं कांग्रेस ने इस बार कर्मचारियों को साध पाने की की भी अभी से कवायद शुरू कर दी है। कांग्रेस इस बार कोई भी कमी नहीं रखना चाहती है। दरअसल कमलनाथ जानते हैं कि देश के उन राज्यों में मप्र भी शामिल है, जहां पर कांग्रेस की सत्ता में वापसी की बेहतर संभावनाएं हैं।

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