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Tuesday, Jun 6, 2023
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राज्य

मुट्ठी भर हुड़दंगी, दस गुना पुलिस ; फिर भी थिएटर बंद कराये!

भोपाल(देसराग)। पठान फिल्म की रिलीज़ पर मध्यप्रदेश के कुछ शहरों में जो हुआ है वह इस बात का साफ़ प्रमाण है कि प्रदेश में क़ानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। सारी कमान उन्मादियों और उत्पातियों के हाथ में है। सीपीआई(एम) के मध्यप्रदेश के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने इसे सरकार और प्रशासन की अक्षमता का एक नमूना बताया है।

सीपीएम के मुताबिक़ जिन सिनेमाघरों में यह फिल्म दिखाई जाने वाली थी उनके सामने बमुश्किल 10 से लेकर 50 तक की संख्या में जमा हुए हुड़दंगियों ने शोर मचाया और उनसे दस गुनी से भी ज्यादा संख्या में मौजूद पुलिस ने बजाय इन हुड़दंगियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करने के सिनेमाघरों को ही बंद करवाने का काम किया।

ध्यान रहे कि अभी एक सप्ताह पहले ही भाजपा की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री ने फिल्मों के खिलाफ बयानबाजी करने और उनके विरोध के लिए लोगों को उकसाने के लिए मध्यप्रदेश के गृह मंत्री की आलोचना की थी। अपने प्रधानमंत्री की सलाह को चौबीस घंटा सातों दिन फिल्मों और अभिनेता अभिनेत्रियों के परिधानों को निहारने वाले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कुछ इस तरह से अमल में लाया है।

आज की ये घटनाएं पुलिस के आला दर्जे के अफसरों की योग्यता पर भी सवाल खड़ा करती हैं कि वे मुट्ठीभर उत्पातियों का सामना करने भी सक्षम नहीं है। जसविंदर सिंह के अनुसार फिल्म इंडस्ट्री का भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। इसके द्वारा सृजित किये जाने वाले विविध रोजगार अवसर अगर आंतरिक अर्थव्यवस्था के हिसाब से महत्व के हैं तो अकेले अमरीकी मनोरंजन उद्योग में सबसे ज्यादा निर्यात करने और उसके माध्यम से विदेशी मुद्रा लाने वाला जरिया भी है। कला का यह माध्यम देखने सुनने के आस्वाद और आल्हाद से कहीं आगे जाता है। आमतौर से हर जगह खासतौर से भारत में फिल्मों की भूमिका समाज और व्यक्ति की जीवनशैली को प्रभावित और एक हद तक संस्कारित करने की भी होती है।

आजाद भारत में सत्तर के दशक तक की फिल्मों ने इसमें जो योगदान दिया है उसे सब जानते हैं। फिल्में इन सबकी पहचान दुनिया से भी कराती है। एक तरह से फिल्में देश की कल्चरल एम्बेसडर (सांस्कृतिक राजदूत) हैं। माकपा ने फिल्मो के बारे में राय बनाने, उन्हें देखने न देखने का अधिकार दर्शकों पर छोड़े जाने की मांग करते हुए मध्यप्रदेश में जारी मुट्ठी भर लोगो के उत्पात को रोके जाने और इनके पीछे की शक्तियों का चेहरा उजागर करने की मांग भी की है।

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