डॉ. प्रमोद कुमार
कन्याकुमारी से पिछले साल 7 सितंबर को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन रविवार को श्रीनगर के लाल चौक पर हुआ। श्रीनगर में लाल चौक पर झंडा फहराने के बाद राहुल गांधी ने भाजपा और उसके नेताओं को सीधी चुनौती दी है कि जम्मू कश्मीर में अगर सबकुछ सही है तो गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर के लालचौक तक पैदल चलकर दिखाएं। राहुल गांधी ने दृढ़ता से राज्य की स्थिति की सच्चाई देश के समक्ष रखते हुए मोदी सरकार को एक तरह से आईना दिखाया है कि सरकार और उसके पिट्ठू केवल मीडिया में बयान देकर देशवासियों को गुमराह कर रहे हैं। देश किसी एक मजहब या धर्म से नहीं चल सकता। इसे चलाने के लिए सामाजिक सौहार्द्र की जरूरत है। जो भाजपा ने लगभग समाप्त कर दिया है। राहुल गांधी के जज्बे को लोग सराह रहे हैं। जो विपक्ष मोदी-शाह के आगे अपनी मांद में छिप कर बैठा है, उसकी भरपाई अकेले राहुल गांधी कर रहे हैं।
यही कारण है कि राहुल की यात्रा में भीषण ठंड और बर्फबारी के बावजूद लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे। जिनमें कलाकार, लेखक, विद्वान, राजनेता, दिव्यांग आदि विशिष्ट लोग यात्रा में शामिल थे। उनका मानना है कि आम लोग इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे संदेश दे रहे थे कि उन्होंने राहुल गांधी के संदेश को सुना और समझा है कि भारत बहुत अधिक विभाजित है, घृणा और हिंसा से भर गया है तथा सामाजिक सौहार्द छिन्न-भिन्न हो गया है इसका उत्तर प्रेम बंधुत्व और एकता को गले लगा कर ही दिया जा सकता है।
राहुल गांधी ने बार-बार कहा कि उनकी यात्रा का कोई राजनीतिक या चुनावी मकसद नहीं है। उसका एकमात्र उद्देश्य प्रेम, बंधुत्व, सांप्रदायिक सद्भाव और एकता का संदेश फैलाना है। इन्हें बड़े करीने से राजनीतिक या चुनावी मुद्दे के रूप प्रचारित नहीं किया जा सकता। इसलिए भाजपा और अन्य आलोचक बौखलाए हुए हैं। यात्रा की आलोचना करने के लिए तर्कहीन आधार गढ़े। स्वास्थ्य मंत्री मंडविया ने जमकर कोरोना राग छेड़ा ताकि राहुल गांधी अपनी यात्रा रद्द दें, लेकिन राहुल गांधी इस बीच और मजबूत बनकर निकले। राहुल गांधी भाजपा के कुचक्र को समझ गए हैं। तभी वे मुख्य मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं। बेरोजगारी, महंगाई, विदेश नीति को लेकर राहुल गांधी जमकर भाजपा और मोदी सरकार को घेर रहे हैं। जनता को भी उनका यह नया अंदाज पसंद आ रहा है। तभी भाजपा कांग्रेस से घबराई हुई है।