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Tuesday, Mar 28, 2023
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मोदी-अडाणी: सरकार के गले की फांस बन गई दोस्ती

डॉ.प्रमोद कुमार
गुजराती व्यवसायी गौतम अडाणी का दिन व दिन पतन होता जा रहा है। अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद मोदी सरकार पर संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मामले में समूचा विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। गुरुवार को अडाणी मामले को धार देते हुए विपक्ष के नौ दलों ने जमकर हंगामा मचाया। और सदन नहीं चलने दी। विपक्ष की आक्रामकता देख मजबूरन संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुक्रवार सुबह तक रोकनी पड़ी। विपक्ष ने मांग की है कि अडाणी समूह का भ्रष्टाचार की जांच संसद या उच्चतम न्यायालय की समिति से कराई जाए। इसके इतर मोदी सरकार हमेशा की तरह अपने अड़ियल रवैये पर कायम है।

वह विपक्ष की मांग को न केवल नकार रही है अपितु बहस से भी भाग रही है। बहस से दूर होकर सरकार ने एक बार फिर उस आशंका को मजबूत किया जिसमें कहा जा रहा है कि सरकार इस मामले में लीपापोती कर रही है। अब जबकि सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह फंस चुकी है तो माना जा रहा है कि मोदी-अडाणी की दोस्ती सरकार के लिए गले की फांस बनती जा रही है। मोदी सरकार का पिछले आठ सालों में यह सबसे बड़ा भ्रष्टाचार माना जा रहा है। हालात बद से बदतर होते देख गौतम अडाणी को अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम(एफपीओ)वापस लेना पड़ा है। साख बचाने के लिए अडाणी के पास इसके अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था। उसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साख गिर चुकी है। अब बड़ा सवाल यह है कि विपक्ष क्या इस मुद्दे पर एकजुट होगा? ठीक वैसे ही जैसे ही हर्षद मेहता कांड, बोफोर्स मामले के खिलाफ एकजुट हुआ था। क्या अडाणी समूह 2024 चुनाव में वाटर लू साबित होने जा रहा है। ऐसे कई ज्वलंत प्रश्न हैं जो देश के समक्ष हैं। प्रधानमंत्री मोदी के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं। उनके समक्ष दो ही रास्ते हैं। एक वह अडाणी को बचाएं और दूसरा अडाणी को भंवर में छोड़कर सरकार बचाएं। आगे अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री मोदी दोनों में से क्या विकल्प चुनते हैं?

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