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Thursday, Dec 7, 2023
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राज्य

उमाश्री के ऐलान से उड़ी “क्षत्रपों” की नींद

भोपाल (देसराग)। पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्रांड नेत्री सुश्री उमा भारती के सियासी बयान सियासत न केवल में उनकी मौजूदगी का अहसास कराते रहते हैं, बल्कि गाहै-बगाहै भाजपा के बड़े क्षत्रपों के लिए चुनौती भी बन जाते हैं। उनके ऐसे ही एक बयान ने इन दिनों खजुराहो, भोपाल और झांसी के मौजूदा सांसदों की नींद उड़ा दी है। दरअसल उमा भारती ने साल 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन वह कौन सी सीट से चुनाव लड़ेंगी यह बात अभी रहस्य बनी हुई है। उनके इसी बयान का प्रताप है कि मध्य प्रदेश की भोपाल और खजुराहों तथा उत्तर प्रदेश की झांसी लोकसभा सीट पर कशमकश के हालात पैदा होने की संभावनाएं बलवती होती नजर आने लगी हैं। उमा भारती की पसंदीदा और उनके मन मुताबिक सियासी गुणा-गणित में सटीक बैठने वाली इन सीटों पर अपनी किस्मत का सितारा बुलन्द करने को आतुर या सपना संजो रहे तमाम नेताओं को अपने मंसूबों पर पानी फिरता दिखाई देने लगा है। उल्लेखनीय है कि उमा भारती ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने ऐलान पर अमल करते हुए साल 2019 के लोकसभा चुनाव से दूरी बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने साल 2024 का लोकसभा चनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
भोपाल-खजुराहों में दुविधा
उमा भारती के साल 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा से सर्वाधिक संकट के हालात खजुराहो और भोपाल लोकसभा सीटों से मौजूदा सांसदों के लिए पैदा हो सकते हैं। वर्तमान में खजुराहों से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और भोपाल सीट से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सांसद हैं। चूंकि खजुराहों उमा भारती का सबसे पसंदीदा लोकसभा क्षेत्र है। वह खजुराहो से साल 1989, 1991, 1996, और 1998 का लोकसभा चुनाव जीतकर चार बार सांसद रह चुकी हैं। तो भोपाल संसदीय सीट साल 1999 के लोकसभा चुनाव में जीतकर सांसद रह चुकी हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उमा भारती के चुनाव न लड़ने के ऐलान की वजह से ही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी रण में उतारा गया था।
पहली पसंद खजुराहो
केन-बेतवा लिंक परियोजना की मन्नत पूरी होने पर छतरपुर के गंज गांव के एक हनुमान मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने खुलेआम साल 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावी संग्राम में उतरने का ऐलान कर दिया है। उनके ऐलान का सबसे अधिक असर खजुराहों सीट पर पड़ेगा। क्यों कि यहां के मतदाता अपने सांसद विष्णुदत्त शर्मा को आज भी आयातित सांसद ही मानते हैं।
दूसरी पसंद भोपाल
खजुराहों के बाद उमा भारती की दूसरी पसंद भोपाल लोकसभा सीट है। सियासत के पंडित इस सीट को उमा भारती के लिए भाग्यशाली मानते हैं। साल 1999 में यहां से सांसद निर्वाचित होने के बाद वह अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में मंत्री बनीं थी। यदि आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा आलाकमान खजुराहो सीट विष्णुदत्त शर्मा के लिए छोड़ने की कह सकता है। ऐसी दशा में उमा भारती को भोपाल सीट से लड़ाया जा सकता है। तब साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को या तो किसी अन्या सीट पर भेजा जाएगा या उन्हें स्वास्थ्य कारणों से विश्राम भी दिया जा सकता है।
तीसरा विकल्प भी खुला
सियासत दांव-पेंच के पंडितों का मानना है कि उमा भारती के पास तीसरे विकल्प के रुप में झांसी लोकसभा सीट भी है। जहां से साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद बनी और मोदी सरकार में मंत्री रहीं। यह सीट उनके लिए मुफीद इसलिए मानी जा रही है, क्योंकि झांसी बुन्देलखण्ड का सबसे प्रमुख शहर है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के साकार होने के बाद उनका बुन्देलखण्ड से जुड़ाव झांसी सीट से चुनाव मैदान में उतरकर साबित कर सकती हैं।

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