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Thursday, Dec 7, 2023
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महाशिवरात्रि पर शिव योग का अद्भुत संयोग

ग्वालियर (देसराग)। शिव शंकर, शंभू, महेश, शिव आप उन्हें कई नामों से पुकार सकते हैं। वो देवों के देव भी हैं और भूतनाथ भी, वो नीलकंठ भी हैं और भोलेनाथ भी। उनकी अराधना का सबसे बड़ा दिन आने वाला है, जिसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन महादेव के भक्त व्रत रखते हैं और शिवालयों में पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं।
कब है महाशिवरात्रि
इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च को है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए निशिता काल मुहूर्त मध्य रात्रि 12:08 बजे से लेकर मध्य रात्रि 12:58 बजे तक रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:10 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा अर्चना से मनोकामना पूर्ण होगी। इस साल की महाशिवरात्रि शिव योग में है।
शिव योग में महाशिवरात्रि
इस बार महाशिवरात्रि शिव योग में है। 01 मार्च को शिव योग दिन में 11:18 बजे से प्रारंभ होगा और पूरे दिन रहेगा। शिव योग 2 मार्च को सुबह 8:21 बजे तक रहेगा। शिव योग को तंत्र या वामयोग भी कहते है। धारणा, ध्यान और समाधि अर्थात योग के अंतिम तीन अंग का ही प्रचलन अधिक रहा। शिव कहते हैं ‘मनुष्य पशु है’ पशुता को समझना ही योग और तंत्र का प्रारंभ माना गयाय योग में मोक्ष या परमात्मा को पाने के तीन मार्गों को बताया गया। जागरण, अभ्यास और समर्पण।
महाशिवरात्रि में पूजा का मुहूर्त
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 1 मार्च को तड़के 3 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर देर रात 1 बजे तक रहेगी. वैसे तो महाशिवरात्रि के दिन दिनभर पूजा का मुहूर्त होता है, लेकिन रात्रि प्रहर की पूजा के लिए महाशिवरात्रि का मुहूर्त 1 मार्च को मध्य रात्रि 12:08 बजे से मध्यरात्रि 12:58 बजे तक रहेगा। इस बार महाशिवरात्रि के पारण का समय सुबह 2 मार्च सुबह 6:45 बजे तक रहेगा। यानि जो लोग शिवरात्र का व्रत और जागरण करते हैं वो इस समय के पश्चात भोजन ग्रहण कर सकते हैं। इसी प्रकार महाशिवरात्रि के दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:10 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक है।
पूजा की सामग्री
शिव की आराधना के समय बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, मदार पुष्प, सफेद फूल, गंगाजल, गाय का दूध, मौसमी फल, आदि सामग्रियां रखें और विधिपूर्वक भोलेनाथ का पूजन करें। महाशिवरात्रि का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, कष्ट एवं संकट दूर हो जाते है। शंकर कृपा से आरोग्य प्राप्त होता है, सुख, सौभाग्य बढ़ता है।
महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथाएं
महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
शिव का लिंग अवतार
धर्म ग्रंथों की मानें तो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव ने अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे। एक कथा के मुताबिक जब सृष्टि की शुरुआत हुई तब ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर बहस हुई। दोनों का विवाद चल रहा था तभी करोड़ों सूर्य की चमक लिए एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ। जिसे देखकर दोनों स्तब्ध रह गए। इस अग्निस्तंभ से भगवान शंकर ने पहली बार शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए। शिवपुराण के मुताबिक शिवजी के निष्कल (निराकार) स्वरूप का प्रतीक ‘लिंग’ इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। इसी कारण यह तिथि ‘शिवरात्रि’ के नाम से विख्यात हो गई।
शिव-पार्वती का विवाह
ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती और शिवजी का विवाह हुआ था। भगवान भोलेनाथ के विवाह के रूप में भी शिवरात्रि मनाई जाती है। यही वजह है कि कई शिवालयों में शिवभक्त भगवान शिव की बारात निकालते हैं। जिसमें कई झांकियां होती है।
शिव-शक्ति के मिलन की रात
महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है, क्योंकि यह शिव और शक्ति के मिलन की रात मानी जाती है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया गया है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक दिनभर होता है।
शिवरात्रि और महा शिवरात्रि में अंतर
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर होता है। शिवरात्रि हर महीने होती है, जबकि महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है। शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। एक साल में 12 शिवरात्रि होती हैं। इस दिन भगवान भोलेनाथ की उपासना की जाती है। माना जाता है, भगवान शंकर को पूजने से भक्त की हर मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है।

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