देसराग ब्यूरो।
मध्य प्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जिसमें सरकारी कामकाज की कमान पूरी तरह से बूढ़े हाथों में है। हालात यह हैं कि सरकार बीते दो दशकों में महज अति आवश्यक पदों पर ही भर्ती कर रही है जिसकी वजह से अधिकांश विभागों में कर्मचारियों का संकट खड़ा हो गया है। अब तो जरूरी कामकाज के लिए भी सरकार ठेके पर कर्मचारियों को रख रही है। वजह है रिक्त होने वाले पदों पर भर्ती नहीं किया जाना। प्रदेश में किस तरह से नियमित सरकारी कर्मचारियों की कमी बनी हुई है इससे ही समझा जा सकता है कि राज्य सरकार के स्थानीय निकायों में जहां कभी सवा लाख से अधिक कर्मचारी थे, उनमें बीते पांच सालों में करीब एक लाख बीस हजार की कमी आ चुकी है। बेहद अहम बात यह है कि राज्य सरकार के कुल नियमित 5.87 लाख शासकीय सेवकों में 18 से 21 वर्ष के बीच के कर्मचारियों की संख्या मात्र 1,560 है।
प्रदेश में भर्तियां नाम के लिए ही की जा रही हैं। यही नहीं शासन भी अनुकंपा नियुक्तियों में रुचि नहीं ले रही है। राज्य में अनुकंपा नियुक्ति के 15 हजार से अधिक मामले सालों से लंबित चल रहे हैं। यह बात अलग है कि प्रदेश में अभी 56 साल से ज्यादा उम्र वाले वाले एक लाख कर्मचारी हैं। जो आने वाले सालों में सेवानिवृत्त हो जाएगेंं। इसके अलावा सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी अलग से हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बेहद जरुरी पदों पर सरकार को न चाहते हुए भी भर्ती करनी ही होगी। आर्थिक एवं सांख्यकी संचालनालय द्वारा 31 मार्च 2022 की स्थिति में प्रशासनिक क्षेत्र में नियोजन संबंधी आंकड़े जारी किए हैं। इसमें प्रशासनिक क्षेत्र में नियोजन गणना का कार्य, शासन के हर विभाग और राज्य सार्वजनिक उपक्रमों, अर्ध शासकीय संस्थाओं, विश्वविद्यालय, स्थानीय निकाय और विकास प्राधिकरणों के अफसरों-कर्मचारियों को शामिल किया जाता है।
जानकारी तैयार करने का आधार
शासकीय विभागों से संबंधित जानकारी उन कार्यालय प्रमुखों से एकत्रित की जाती है जिनके अधीन कर्मचारियों का वेतन आहरण और संवितरण किया गया है। ग्राम पंचायतों की जानकारी जनपद से एकत्रित कराई गई है। जिला स्तर पर वेतन समूहवार एवं सेवा श्रेणीवार तथा आयु समूह अनुसार जानकारी का संकलन किया जाता है। इसमें बताया गया है कि कुल शासकीय कर्मचारियों की संख्या में महिला कर्मचारियों का प्रतिशत 27.09 है। जबकि द्वितीय श्रेणी के तहत महिलाओं का प्रतिशत सर्वाधिक 31.24 और चतुर्थ श्रेणी के अंतर्गत सबसे कम 19.69 प्रतिशत है। अगर कर्मचारियों का जिलेवार आंकड़ा देखा जाए तो भोपाल में सबसे अधिक 21,086 हैं, जो राज्य के कुल कर्मचारियों का 3.59 प्रतिशत है। इसके बाद इंदौर है। सबसे कम निवाड़ी जिले में हैं। इसी तरह से 46 से 50 आयु समूह के तहत सर्वाधिक 92,255 कर्मचारी कार्यरत हैं।
इन विभागों में है सर्वाधिक कर्मचारी
आंकड़ों के मुताबिक जिन विभागों में सर्वाधिक नियमित कर्मचारी है उनमें, स्कूल शिक्षा में 2,14,209, गृह में 95,696, आदिम जाति कल्याण में 47,993, स्वास्थ्य विभाग में 26,137 और राजस्व विभाग में 19,159 कर्मचारी हैं। इनमें भी अगर श्रेणीवार संख्या देखी जाए तो प्रथम श्रेणी कर्मचारियों में पुरुषों का आंकड़ा 5,512, महिलाओं का 2,128 , द्वितीय श्रेणी पदों पर 25,168 पुरुष और 11,437 महिलाएं ,तृतीय श्रेणी के पदों पर 3,49,337 पुरुष और 33,702 पदों पर महिलाएं और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर 48,297 पुरुष और 11,844 महिलाएं कार्यरत हैं।