भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर एक ओर भाजपा में जहां भोपाल से लेकर दिल्ली मंथन के दौर चल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर संगठन में अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे नेताओं को वर्तमान दायित्व से मुक्त किया जा रहा है। इसी के तहत भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर को मीडिया प्रभारी के दायित्व से मुक्त कर प्रदेश मंत्री बनाया गया है। उनकी जगह उन्हीं के सिपहसालार रहे कारोबारी आशीष अग्रवाल को भाजपा का प्रदेश मीडिया प्रभारी नियुक्त किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सत्ता और संगठन के बीच दखलंदाज़ी के चलते लोकेन्द्र पाराशर काफी विवादों में रहे थे। आरोप तो यह भी लगाए गए थे कि सरकार के जनसम्पर्क विभाग के विज्ञापन जारी होने तथा अधिमान्यता सम्बंधित फाइलों का निपटारा बिना लोकेन्द्र पाराशर की सहमति के नहीं होता है।इसी के कारण काफी विवाद भी खड़ा हुआ था।जिसके बाद से ही उनके हटाए जाने की सुगबुगाहट चल रही थी। जबकि लोकेन्द्र पाराशर के नजदीकी सूत्र यह दावा कर रहे हैं कि ग्वालियर की भितरवार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त करने के कारण उन्हें मीडिया प्रभारी के दायित्व से मुक्त किया गया है।
दरअसल मध्यप्रदेश में करीब 6 माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी को देखते हुए भाजपा सत्ता व संगठन में तालमेल पर जोर दे रही है। संगठन का प्रचार और सरकारी योजनाओं को जोरदार तरीके से प्रचारित करने के मकसद से भाजपा ने मीडिया प्रभारी में बदलाव किया है। इसके साथ ही ललिता यादव को प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। ललिता यादव पूर्व विधायक हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के निर्देश पर सभी की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
नए मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ग्वालियर क्षेत्र से हैं। इसके पहले मीडिया प्रभारी रहे लोकेन्द्र पाराशर भी ग्वालियर जिले से ही आते हैं। इस प्रकार देखा जाए तो भाजपा मीडिया विभाग में दबदबा ग्वालियर क्षेत्र का दिख रहा है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले संगठन को मजबूत करने के लिए कई और बदलाव भी आने वाले दिनों में देखे जा सकते हैं। इसमें प्रवक्ताओं के साथ ही सह प्रवक्ताओं और सह मीडिया प्रभारी के दायित्व भी बदले जा सकते हैं और कुछ नए नामों को भी इसमें जोड़ा जा सकता है।
राजधानी भोपाल के सियासी गलियारों में लोकेन्द्र पाराशर को मीडिया प्रभारी पद से हटाए जाने को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इनमें जनसम्पर्क विभाग से जुड़े विवादों के अलावा गुटबाजी को बढ़ावा देने तक की चर्चा है। तो वहीं लोकेन्द्र पाराशर के विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी को लेकर भी दावेदारी चल रही है। वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष बनाई गईं ललिता यादव भी विधानसभा में टिकट पाने के लिए मशक्कत कर रही हैं। 2018 में ललिता यादव छतरपुर जिले के बड़ामलहरा से चुनाव हार चुकी हैं। वह अब छतरपुर सीट से टिकट मांग रही हैं, क्योंकि ये उनका गृहनगर होने के साथ ही वे यहां से विधायक भी रह चुकी हैं। छतरपुर से वह नगरपालिका अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। लेकिन लोकेन्द्र पाराशर व ललिता यादव के टिकट में ये बाधा सामने आ सकती हैं कि वे संगठन में अहम पदों पर हैं।