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Tuesday, Jun 6, 2023
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विचार

शिव का ‘चेहरा’ और राजा की ‘नीति’

गीत दीक्षित
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है… नेताओं ने बिसातें बिछानी शुरू भी कर दी है… संकट दोनों ही दलों में है,लेकिन कॉन्फिडेंस में कोई कमी न दिखे इसकी कोशिश भरपूर की जा रही है… भाजपा और कांग्रेस में दो नेता बहुत ही ज्यादा सक्रिय है…सीएम शिवराज अपने चेहरे और वाकपटुता से मैदान मारने की तैयारी में लगे हुए हैं…तो कांग्रेस खेमे से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी शैली में कांग्रेस की अंडरग्राउंड डिफिकल्टी को समझने के साथ दुरुस्त करने में लगे हुए हैं.. बुंदेलखंड, विंध्य ग्वालियर और मालवा की 35 विधानसभा सीटों की कुंडली दिग्विजय सिंह ने लगभग तैयार कर ली है…लेकिन फाइनल टच देना अभी बाकी है… वहीं कांग्रेस के अन्य नेता अपनी कार्यशीली से राजनीति की बिसात बिछा रहे हैं.. मामला इसलिए भी रोचक है ‘शिव-राजा’ दोनों ही एमपी की नब्ज को बखूबी जानते और समझते है…

यह तो ठीक है, लेकिन दोनों ही नेताओं के चरित्र को भी बेहतर समझने का माद्दा भी रखते है… फिलवक्त यह तो शरुआत है,रफ्तार अभी बाकी है…जहां तक शिवराज का सवाल है तो उनका फीडबैक लेने का अपना नेटवर्क है…जो कम नेता ही जानते है… इसमें अफसरशाही तो है ही…साथ में इनके खास लंबरदार नेता भी अपनी—अपनी रिपोर्ट देते हैं… शिवराज सर्वे पर बहुत ज्यादा भरोसा नही करते है…ऐसा उनके आसपास रहने वाले खासमदर बताते है… चेहरे पर सादगी, भोलापन, सहजता जनता जनार्दन के लिए है…लेकिन अपने कुनबे के लिए शिव का दूसरा ही स्वरूप होता है… दिमाग और दिल में सबकी नाड़ी की गति दर्ज रहती है…जो लगातार अपडेट होती रहती है…वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय को लंबे समय से राजनीति का चाणक्य माना जाता है…जो लाजमी भी है…आखिर उन्हें प्रदेश की नब्ज की गहरी जानकारी रहती है… राजा जो कहे वो करे तो राजवंशी कहा जाता है..खेर, वापस फील्ड की बात करते हैं… दिग्विजय ने सीटें चुनी तो वो भी जहां कांग्रेस की विजय पताका लंबे अर्से से नहीं लहराई है… टास्क कहें या चुनोती आसान नहीं है… इस बीड़े को उठाने वाला कोई दूसरा कांग्रेसी भी तो आगे नहीं आया… दिग्विजय सिंह ने यात्रा शुरू करने से पहले और यात्रा में कई बार कहा कमलनाथ के कहने पर निकला हूँ…मतलब इस तरह के बयानों का मतलब तो वही जाने …हकीकत ये हे कि ऐसा आदेश एमपी में उन्हें कौन दे सकता है…माना यह जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने अपने दौरे के दौरान स्थानीय नेताओं को जो बोल दिया उस जिले के नेता को उसी लाइन पर चलना होगा… वरना वो दिग्विजय की नजर से उतर भी सकता है…चुनाव के ऐन पहले यह खतरा कौन उठाएगा…शिवराज और दिग्विजय की चुनावी शुरुआत धीरे धीरे हुई है…लेकिन गतिमान होने से पहले कइयों के सीटी स्कैन और एक्सरे रिपोर्ट आ चुकी होंगी…जुलाई के बाद दोनों की मैदानी राजनीति के मैदान को जानने का स्पष्ट असर दिखने लगेगा… शिवराज हाथ उठाकर साथ देने का संकल्प दिला रहे है.. तो राजा पवित्र जल-तुलसी और अन्य साधन से एकता घुट्टी पिला रहे है… देखना होगा दोनों की शुरुआत का असर नेताओं और कार्यकर्ताओं पर कितना होगा…लेकिन कई नेताओं के माथे पर बल लाने के लिए तो यह शुरुआत है…
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं। यह आलेख वरिष्ठ पत्रकार गौरव चतुर्वेदी की वेबसाइट न्यूज नेशन से साभार।)

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