विवेक श्रीवास्तव
ग्वालियर(देसराग)। नाराज और महाराज में साफ तौर पर बंट चुकी भाजपा क्या आने वाले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल में चमत्कार दिखा पाएगी। यह स्थिति तब है जब पार्टी में बगावत की हवा बहने लगी है। साल 2018 में अपनों की वजह से ही सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस इस बार पूरी तैयारी के साथ मैदान में है और खास तौर पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ कहे जाने वाले ग्वालियर चंबल अंचल में टिकटों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
पिछले चुनाव में हुई गलतियों से सबक लेते हुए कांग्रेस जहां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है, वहीं उन दरारों को भी पाटने की कोशिश में कि कहीं कोई सूराख न रह जाए। इसी मकसद से पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह राहुल भैया ने तीन दिनों के लिए ग्वालियर में डेरा डाल लिया है। लंबे समय तक सत्ता से बाहर रही कांग्रेस में पहली बार कांग्रेस में संगठन को मजबूत बनाने और बूथ तक अपनी पैठ बनाने की बनाने के लिए गंभीरता से काम हो रहा है। यही वजह है कि सिंधिया और नरेंद्र सिंह के गढ़ में भाजपा में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल भैया को ग्वालियर और दतिया जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। तीन दिनों के अपने दौरे पर वह पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे और उन कमियों की तलाश करेंगे जो हार की वजह बन सकते हैं। इन तीन दिनों में वह कांग्रेस के सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे और संगठन के पदाधिकारियों से बिंदुवार चर्चा कर हार जीत की नब्ज टटोलेंगे।
दरअसल भाजपा की कमजोर कड़ी यही है कि वह किसे टिकट दें और किसका टिकट काटे। महंगाई और एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से भी उसे जूझना पड़ रहा है। महाराज भाजपा भले ही सिंधिया के भरोसे हो लेकिन नाराज भाजपा को पार्टी की जमीनी हकीकत पता है।