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Monday, Oct 2, 2023
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विचार

सड़़क छाप राहुल ने मोदी को पछाड़ दिया

अरविन्द त्रिपाठी भयभीत
इधर दो तीन दिनों से मैं बहुत ही डरा-सहमा सा अपने आपको कमरे में बंद किए हुए हूं। इस वजह से घबराया हुआ हूं कि कर्नाटक के चुनाव में मोदी जी ने जमकर प्रचार किया। इतना लम्बा रोड शो निकाला कि कहींं-कहीं जनता दूंढने पर भी नहीं मिली। मोदी जी पूरी साज सज्जा के के साथ मुकुट पहने हुए लम्बी कार में सवार थे। सड़़कों पर हज्जारों टन फूल के पलक पावड़े बिछाए गए थे, बावजूद इसके भी उनके विरुद्ध प्रचार में सड़क का आदमी राहुल गांधी जिसके सांसदी की बात छोडिए मकान तक छिन गया, डटा था। वह कर्नाटक की सड़कों में सिटी बस में चढ़ कर आम लोगों से मिलता जुलता रहा।

किसी साधारण से रेस्तरां में बैठ कर नौजवानों के साथ चाय- कॉफी पीते हुए जिन्दगी की तमाम परेशानियों को जानता समझता रहा। साधारण सी पेंट टी शर्ट पहने हुए सीधे सरल अंदाज में जनता को बरगलाने में सफल रहा। वीर सावरकर के अनुयायी, वीर योद्धा नरेद्र मोदी को करारी शिकस्त दे डाली। यह भारत वर्ष के लिए, खास तौर पर हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के लिए शुभ लक्षण नहीं कहे जा सकते हैं।

अंततः आधे मन से मोदी जी ने कांग्रेस को बधाई दी। लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने की शुभकामनाएं दीं। और पिछले हफ्ते G-7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए कई दिनों की यात्रा में विदेश चले गए। जापान में तो मोदी जी का भव्य स्वागत हुआ। अमरीका के राष्ट्रपति बाइडेन नें जी भरकर मोदी की तरीफ की। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक घंटों मोदी जी के साथ बतियाते रहे। एक दूसरे को चिकोटी तक काटी। अप्रवासी भारतीय महिला खास तौर पर मोदी जी की सेल्फी लेने में व्यस्त रही। कोई ऑटोग्राफ ले रहा था। वयोवृद्ध लोग- वेद पुराणों पर चर्चा कर रहे थे। कुछ लोगों ने बौद्ध धर्म के बारे में मोदी जी से जानना चाहा तो उन्होंने अनिच्छा जाहिर की। कहा अहिंसा, प्रेम और सत्य के प्रति हम सनातनी लोगों का उतना विश्वास नहीं है। इसके बारें में कांग्रेसी नेताओं से पूछिएगा, यह कह कर मोदी जी ने बात टाल दी। हद से गुजर जाने की स्थिति तब आई जब पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापेने ने मोदी जी का स्वागत पैर छू कर किया। इस फोटो को गोदी मीडिया ने खूब प्रचारित किया। बड़े अखबार वालों ने भी खूब छापा है। नेहरू जी तक का इतना भव्य स्वागत विदेशों में कभी नहीं हुआ होगा। मोदी जी के पास डिग्री होती तो नेहरू उनके सामने बौने ही रहते। इस तरह मोदी जी का स्वागत देख कर दंग रह गया और अपने दांतों से इतनी जोर से उंगली दबाई कि बुरी तरह फ्रेक्चर हो गयी। डर इस बात का लग रहा था कि कहीं मोदी जी को जापान की जनता उन्हें अपना राष्ट्राध्यक्ष न चुन लें और भारत के लोग हाथ मलते रह जाएं।

गुड़िया जापान की हाथों से यदि किसी कदर मोदी जी निकल आए तो इस देश के विपक्ष का दायित्व बनता है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में मोदी का स्वागत एरोड्रम में करने के लिए अमित शाह, राजनाथ सिंह, मार्गदर्शक मंडल के अध्यक्ष आडवाणी जी सरीखे समस्त सत्ताधारियों को धकियाते हुए मोदी जी को फूल मालाओं से लाद दें। एक स्वस्थ विपक्ष की भूमिका निभाएं। उन्हें नई संसद का उद्घाटन करने में बाधा न खड़ी करें। वैसे भी हमारी राष्ट्रपति का उद‌घाटन समारोह में पूजा अर्चना के दरम्यान मंत्रोच्चार करने वाले श्लोकों का ज्ञान नहीं ही होगा। इस पचड़े से दूर ही रहें। हमारी राष्ट्रपति जी अध्यादेशों पर हस्ताक्षर करती रहें। कर्म करें। कर्म।

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