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Wednesday, Sep 27, 2023
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यूपी के चुनाव तय करेंगे संघ और भाजपा की रणनीति!

भोपाल (देसराग)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अगली रणनीति क्या होगी इसका फैसला उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद होगा। महत्वपूर्ण प्रतिनिधि सभा की अगली बैठक पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के तत्काल बाद होने जा रही है। 10 मार्च को चुनाव परिणाम आएंगे और उसके अगले ही दिन यह बैठक अहमदाबाद में शुरू हो जाएगी। इस बैठक में इन परिणामों के आधार पर आरएसएस द्वारा आगामी रणनीति बनाई जाएगी। संघ के प्रतिनिधि सभा की बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसकी वजह है इसी बैठक में ही संघ आगामी एक साल के कामकाज को तय कर उसकी रूपरेखा को अंतिम रूप देता है। इसमें संगठन के विस्तार एवं संघ के शताब्दी वर्ष पूरा होने पर विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा के बारे में विस्तृत चर्चा की जाएगी ।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव की कार्ययोजना पर विचार विमर्श कर रणनीति बनाई जाएगी। अहमदाबाद में 11 से 13 मार्च तक होने वाली संघ की प्रतिनिधि सभा की इस महत्वपूर्ण बैठक में शाखाओं के विस्तार से लेकर शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों पर कई बड़े फैसले होंगे। मध्यप्रदेश से इस बार लगभग 100 पदाधिकारियों के शामिल होने की संभावना जताई गई है। संघ की यह बैठक ऐसे समय बुलाई गई है जब एक दिन पहले 10 मार्च को पांच राज्यों उत्तरप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा के नतीजे घोषित होंगे। बैठक में चुनावी नतीजों पर भी मंथन किया जाएगा, खासतौर पर उत्तरप्रदेश चुनाव पर सभी की नजरें लगी हैं। सूत्रों ने बताया, ”आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष 2025 तक देश के एक लाख केंद्रों तक विस्तार करने की योजना बना रहा है और इस उद्देश्य के लिए अपने सहयोगी संगठनों के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों में अपनी पैठ बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। बताया जा रहा है कि शताब्दी वर्ष को लेकर विशेष कार्यकर्ताआें को जिम्मेदारी सौंपी जायेगी, जिनसे खास तौर पर संगठन के कार्य के लिये समय देने को कहा गया है । संगठन इस समय देश के 55 हजार स्थानों पर मंडल स्तर पर शाखाएं संचालित करता है और इसे बढ़ाकर लगभग दो गुना करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक प्रतिनिधि सभा की बैठक में मूल संगठन और अनुषांगिक संगठनों के 1490 सदस्यों के शामिल होने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए पिछली बार यह संख्या 500 तक सीमित कर दी गई थी एवं शेष सदस्य आॅनलाइन माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए थे। अगले दो तीन दिनों में यह तय हो जायेगा कि इस बार प्रतिनिधि सभा की बैठक में कितने सदस्य शामिल होंगे । संघ की स्थापना के 100 वर्ष 2025 में पूरे हो रहे हैं, ऐसे में बैठक में संगठन के विस्तार एवं संघ के शताब्दी वर्ष पूरा होने पर विभिन्न कार्यक्रमों के रूपरेखा के बारे में विस्तृत चर्चा की जाएगी । संघ के कार्यकर्ताओं समेत संगठनों से जिला स्तर पर योजना तैयार करने को कहा गया है और इस बैठक में इस विषय पर भी विचार किया जायेगा । इसमें जम्मू कश्मीर, लद्दाख, पूर्वोत्तर, तमिलनाडु एवं पर्वतीय क्षेत्रों में विस्तार पर जोर दिया जायेगा। सूत्रों ने बताया कि इसमें एक-दो प्रस्ताव भी पारित किये जायेंगे तथा राष्ट्रीय महत्व एवं समसामयिक विषयों पर चर्चा भी की जायेगी।
दो साल बाद होगी बैठक
जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण संघ के प्रतिनिधि सभा की बैठक नहीं हो पा रही थी। दो साल बाद यह पहला मौका है जब कोरोना की दहशत कम हो गई है इसलिए ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस बार तुलनात्मक रूप से ज्यादा प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। संघ की स्थापना के वर्ष 2025 में 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसके लिए संघ ने देश के एक लाख केंद्रों तक विस्तार करने की योजना बनाई है। इसके लिए सहयोगी संगठनों के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गो में निचले स्तर तक पैठ बढ़ाने का टारगेट रखा गया है।
मप्र के चारों प्रांतों की टोलियां और विभाग प्रमुख होंगे शामिल
पिछले साल प्रतिनिधि सभा की बैंगलुरू बैठक में कुल 500 लोगों को ही बुलाया गया था। ज्यादातर सदस्य बैठक से वर्चुअली ही जुड़े थे। बैठक में संघ के 1490 सदस्य भाग लेते हैं, इस बार ऐसी स्थिति बन रही है कि मप्र से क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते, क्षेत्रीय कार्यवाह अशोक अग्रवाल, संघ चालक, सह कार्यवाह, चारों प्रांतों की टोलियां और विभागों के प्रमुख भी शिरकत करेंगे। इस तरह सभी प्रतिनिधियों की संख्या करीब 100 से अधिक होती है।

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