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Thursday, Dec 7, 2023
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विचार

छप्पन इंची डरपोक तानाशाह

नज़रिया

सोमेश्वर सिंह
मैं सावरकर नहीं, राहुल गांधी हूं। माफी नहीं मांगूंगा। कल सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर राहुल गांधी ने यह साबित कर दिया। जो कहो, सोचकर दिल दिमाग से कहो। परिणाम चाहे जो हो। दुख और विपत्ति में भी अपनी बात पर कायम रहो। यही एक सफल राजनेता की पहचान है। आपातकाल से लेकर पंजाब ब्लूस्टार तक इंदिरा गांधी ने कभी माफी नहीं मांगी। और इतिहास ने यह साबित कर दिया। इंदिरा गांधी के सभी फैसले दुरुस्त थे। संविधान के अनुरूप ही आपातकाल लगाया गया था और पंजाब ब्लूस्टार भी। आज तक किसी भी अदालत ने इन दोनों फैसलों को असंवैधानिक नहीं कहा।

आज सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को बड़ी राहत दी। सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी ने ट्रायल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट गुजरात तक के आदेशों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा मानहानि के मामले में राहुल गांधी को अधिकतम सजा दी गई है। किंतु आदेश में अधिकतम सजा के कारणों को नहीं लिखा गया। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा को निलंबित कर दिया। संभव है कल तक राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल कर दी जाए और वह इसी मानसून सत्र में संसद की कार्यवाही में शामिल हों। सरकार के खिलाफ प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा पर भाग लें।

हालांकि मोदी सरकार की पूरी योजना थी कि किसी तरह राहुल गांधी को संसद के मानसून सत्र में भाग लेने से रोका जाए। इसीलिए मानहानि मामले के याचिकाकर्ता पूर्णेन्दु मोदी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की गई। अंतरिम राहत के लिए राहुल गांधी द्वारा प्रस्तुत याचिका का जवाब देने के लिए महीने भर का समय मांगा गया। भाजपा की योजना थी कि किसी तरह 15 अगस्त तक राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत ना मिले। परंतु मोदी का गुजरात मॉडल सुप्रीम कोर्ट में काम नहीं आया। 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से आजादी का जश्न मना रहे होंगे, तब राहुल गांधी गुजरात के साबरमती आश्रम से प्रेम, शांति, मानवता का संदेश लेकर संवैधानिक मूल्यों के लिए दूसरे चरण की भारत यात्रा प्रारंभ करेंगे। और इस भारत यात्रा का समापन तीन महीने से जातीय उन्माद में जल रहे मणिपुर में समाप्त होगा।

उन्माद,नफरत और नस्लीय राजनीति करने वाली ताकतें किसी भी हद तक जा सकती हैं। फासिज्म का यही चरित्र होता है। पांच हजार साल के ज्ञात इतिहास में भारत का संविधान दुनिया का श्रेष्ठ लिखित संविधान है। यह संविधान मनु स्मृति संहिता के मार्ग पर सबसे बड़ा रोड़ा है। इसीलिए इसे सुनियोजित तरीके से नेस्तनाबूद किया जा रहा है। संवैधानिक संस्थाओं का मनमाना दुरुपयोग करके विपक्षी दल और उनके नेताओं को झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। डराया धमकाया जाता है। दलों में तोड़फोड़ की जाती है। राज्य सरकारें गिराई जाती हैं। जहां कहीं डबल इंजन की सरकार है, वहां-वहां गुजरात मॉडल अपनाया जा रहा है। पूरे देश में आतंक और दहशत का माहौल है। कानून व्यवस्था के नाम की कोई चीज नहीं रह गई।

नेहरू गांधी परिवार को निशाना बनाया जा रहा है। मनगढ़ंत और अनर्गल आरोप लगाए जाते हैं। चारित्रिक हत्या की जाती है। उन्हें सार्वजनिक रूप से लांछित किया जाता है। इन लोगों ने सोनिया गांधी को क्या-क्या नहीं कहा। कभी विदेशी महिला, कभी बार बाला, तो कभी नचनिया, उनके बेटे राहुल गांधी को पप्पू से लेकर हाइब्रिड तक कहा गया। विश्व राजनीति में नेहरू-गांधी परिवार इकलौता परिवार है, जिसकी चार-चार पीढ़ियां आजादी के आंदोलन से लेकर वर्तमान भारत के निर्माण तथा भविष्य के लिए समर्पित हैं। जिन्होंने पीढ़ियां दर पीढ़ियां देश के एकता और अखंडता के लिए बलिदान दिया। आजादी को अपने खून से सींचा। मोतीलाल नेहरू गुलाम भारत के सबसे बड़े बैरिस्टर थे। विलासिता पूर्ण जीवन जी रहे थे। धन-यश की कमी नहीं थी। बाप ने इकलौते बेटे जवाहरलाल नेहरू का उसी सुख-सुविधा के साथ पालन पोषण किया। किंतु पुत्र ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर सारी सुविधाओं का परित्याग करके खादी वस्त्र धारण कर लिया और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में शामिल हो गया। एक बाप ने बेटे का राष्ट्र के प्रति समर्पण देखकर विलासिता पूर्ण जीवन त्याग दिया। मोतीलाल नेहरू उनकी पत्नी स्वरूप रानी, पुत्र जवाहरलाल नेहरू, बहू कमला नेहरू सभी आजादी के आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए। उन्होंने कभी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी।

राष्ट्र को समर्पित ऐसे राष्ट्रभक्त परिवार के राहुल गांधी सदस्य हैं। जिनके पास आज भी कोई घर नहीं, कोई बंगला नहीं, कोई फार्म हाउस नहीं, कोई बैंक बैलेंस नहीं, किसी कंपनी या उद्योगपति के साथ पार्टनरशिप नहीं। जो आज भी अविवाहित है। जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक के चार हजार किलोमीटर की भारत यात्रा को प्रतिकूल मौसम के बाद भी एक टी-शर्ट और जींस में पार कर देता है। ईडी लगातार 50-50 घंटे पूछताछ करता है। और उसके खिलाफ सरकार को कोई सबूत नहीं मिलता। जो आज भी निर्भय और निडर होकर छाती ठोक कर कहता है कि-“मैंने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोली है।” वह भला 56 इंच सीने वाले डरपोक से क्यों डरेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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