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Thursday, Dec 7, 2023
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विचार

पृथ्वी लोक वालों का कोई भरोसा

सोमेश्वर सिंह
इसरो का चंद्रयान-3 अभियान सफल रहा। विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सकुशल लैंड कर गया। मानव रहित इस अभियान में सिर्फ सूचना प्रौद्योगिकी काम कर रही है। लैंडर के शीर्ष पर तिरंगा ध्वज लहरा रहा है। यान के सामने स्क्रीन पर अखंड भारत माता भगवा ध्वज थामे मुस्कुरा रही हैं। चंद्रलोक का खुफिया तंत्र सतर्क है। यान को चारों तरफ से सिक्योरिटी नें घेर लिया है। अंतरिक्ष यात्रियों के उतरने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चंद्रयान में भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को देखकर चंद्रलोक खुफिया तंत्र को पता चल गया था कि यह यान भारत से ही आया है। उन्हें इंस्पेक्टर मातादीन की कारस्तानी याद थी, तब से चंन्द्रलोक सरकार भारत सरकार के मैत्री संधि से सतर्क और भयभीत है।

चंद्रलोक वासियों को असफल चंद्रयान अभियान-2 के औंधे पड़े विक्रम लैंडर से खबरें मिलती रहती हैं कि भारत में क्या चल रहा है। उन्हें पता है कि विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग ना होने के कारण लुढ़क गया था। चंद्रलोक के सतह के मिट्टी का नमूना इसरो के पास नहीं था। भारत सरकार ने अमेरिका से थोड़ा सी मिट्टी मांगी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ मना कर दिया। उन्हें क्लोरोक्विन की जरूरत पड़ी थी तो प्रधानमंत्री मोदी को आंखें तरेर कर ले लिया था। चंद्रलोक पृथ्वी लोक के दोगलेपन से वाकिफ है। उनका चरित्र भी जानता है। ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में कभी व्यापार करने गई थी। बाद में साम्राज्य स्थापित कर लिया। भारत की धरती सैकड़ों साल गुलाम रही।

मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। सांप्रदायिक दंगे हुए। हिंसा में हजारों मुसलमान मारे गए। अमेरिका ने उन्हें वीजा नहीं दिया और वही मोदी जी अमेरिका में जाकर राष्ट्रपति चुनाव का प्रचार करने लगे। भारतीयों के बीच जाकर कहा अबकी बार ट्रंप सरकार। चंद्रलोक को यह भी पता था कि कोविड-19 से प्रभावित लाखों भारतीय ऑक्सीजन के अभाव में मर गए। भूख और बीमारी से मरना तो आम बात है। मृतकों के शव को जलाने और दफनाने के लिए जगह तक नहीं थी। ऐसे निर्दय और निर्मम पृथ्वी लोक के प्राणियों को यदि चंद्र लोक में भी जगह मिल गई तो यहां भी वही हाल कर देंगे। इसी भय और आशंका के चलते चंद्रलोक के सुरक्षा सैनिकों ने विक्रम लैंडर को चारों तरफ से घेर लिया। बंदूकें तान दीं। चंद्रलोक के सुरक्षा अधिकारी ने चेतावनी भरे लहजे में ललकारा- “यान में जो भी हो, नीचे उतर आओ, सरेंडर कर दो, नहीं तो यान को उड़ा दिया जाएगा।” यह तो मानव रहित था कोई होता तो उतरता। यान के संचार माध्यम से यह चेतावनी भारत के इसरो केंद्र पहुंची। इसरो के वैज्ञानिक सकते में आ गए। उन्हें कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। बिना भारत सरकार के अनुमति क्या जवाब देते। उन्हें इतनी स्वायत्तता होती तो चंद्रयान अभियान दो असफल नहीं होता। महंगे दाम पर अमेरिका से चंद्रमा के सतह की मिट्टी खरीद लेते। मिट्टी की जांच करके विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करा लेते। फिर भी विक्रम लैंडर को बचाना ही था। इसरो के अधिकारी ने संयत भाव से विनम्रता भरे लहजे में जवाब दिया-“गुड मॉर्निंग सर…। आगे कुछ बोल पाते तभी चन्द्र लोक के सुरक्षा अधिकारी ने कड़क आवाज में कहा-“बकवास बंद करो, यह गुड मॉर्निंग गुड नाइट तुम्हारे मुल्क में चलता होगा। सभी कामचोर हैं। तुम्हारी सरकार हमेशा सोती रहती है। मणिपुर में तीन महीने से जारी हिंसा में लोग मारे जा रहे हैं, तुम्हारी सरकार सो रही है। इसरो वैज्ञानिक समझदार और चतुर थे। उन्होंने सुरक्षा अधिकारी से संवाद करना जारी रखा कि शायद बातचीत से कुछ गुस्सा ठंड पड़ जाए। और फिर पूछा- “सर, आपके यहां दिन रात नहीं होता।” जवाब मिला-” होता है, लेकिन चंद्रलोक वासियो को कोई फर्क नहीं पड़ता।तुम्हारे यहां दिव्य दृष्टि और तीसरी आंख बेजान पत्थर की मूर्तियों के पास है। हमारे लोक में प्रत्येक व्यक्ति के पास यह दृष्टि है। इसीलिए हम लोग अदृश्य रहते हैं। हजारों साल से हमारी उड़न तश्तरियां तुम्हारी धरती पर जा रही हैं। लेकिन किसी अंतरिक्ष यात्री ने तुम्हारे यहां कचरा नहीं किया। तुम्हारी धरती से मिट्टी पत्थर का नमूना नहीं लिया। तुम्हारे मुल्क में कोई निशान नहीं छोड़ा। चुपचाप गए और चले आए।” सुरक्षा अधिकारी ने आगे कहा- तुम्हारी धरती का मनुष्य स्वार्थी है। धरती की कोख को बंजर कर दिया। पहाड़ों को नष्ट कर दिया। खनिज का निर्मम ढंग से दोहन कर रहे हो। वृक्षों को निर्ममता के साथ काट डाला। जंगल वीरान हो गए। समूचा पर्यावरण नष्ट कर दिया। कहीं सूखा है तो कहीं अकाल है। कहीं बाढ़ की तबाही है। तुम मानवता के दुश्मन हो, कलंक हो। तुम्हारे भारत के नेता अफसर अजब गजब के हैं। कहते हैं ना खाऊंगा ना खाने दूंगा। ना रोटी खाते हैं,ना जनता को रोटी खाने देते। तुम्हारी सरकार इतनी भूखी है की मिट्टी गिट्टी, पत्थर बालू सब खा गई। तुम विशुद्ध व्यापारी हो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जीवन का भी व्यापार करते हो। मनुष्य होकर भी मनुष्य जाति के साथ पशुवत व्यवहार करते हो। तुम्हारा कोई भरोसा नहीं है।

सुरक्षा अधिकारी की यह बातें सुनकर इसरो वैज्ञानिक रुंआसे हो गए। उन्हें कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। तभी सुरक्षा अधिकारी की नजर विक्रम लैंडर के चारों तरफ लटक रहे नींबू और मिर्च पर पड़ी। उन्हें लगा यह कोई जासूसी यंत्र है। और फिर कड़क आवाज में पूछा -“तुम्हारे यान के चारों तरफ पीले हरे कौन से यंत्र लटक रहे हैं। इसरो वैज्ञानिक में बताया -“नींबू मिर्च लटक रहे हैं, यह टोटका है, इससे यान को नजर नहीं लगेगी”। यह सुनकर सुरक्षा अधिकारी आग बबूला हो गया और डांटते हुए बोला-“बकवास बंद करो, वैज्ञानिक होकर अवैज्ञानिक बात करते हो, शर्म नहीं आती। इस तरह का टोना, टोटका, अंधविश्वास तुम्हारे भारत में चलता होगा। हमारे चंद्रलोक में नहीं चलेगा”। तुम्हारे देश का इंस्पेक्टर मातादीन एक बार यहां आया था, सभी थानों में बजरंगबली का मंदिर बनवा दिया, जब से मंदिर बना अपराध बढ़ गए।”
इसरो वैज्ञानिक ने क्षमा मांगते हुए कहा-“सॉरी सर! हम वैज्ञानिक लोग अंधविश्वासी नहीं है लेकिन क्या करें भारत सरकार के अधीन हैं। नियम, कानून ,कायदे सरकार के मानने पड़ते हैं। हमारे रक्षा मंत्री का सख्त निर्देश है कि प्रत्येक रक्षा-सुरक्षा, ज्ञान-विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान की उपलब्धि में नींबू मिर्च का सहारा लिया जाए।” यह सुनकर सुरक्षा अधिकारी भौंचक रह गया और पूछा-“अच्छा, यह बताओ तुम्हारे यहां सरकार निर्देश मौखिक देती है कि लिखित।”। वैज्ञानिक ने कहा-“हमारे यहां सिर्फ संविधान लिखित है, बाकी सभी निर्देश मौखिक चलते हैं।”। यह सुनते ही सुरक्षा अधिकारी ठठाकर हंसने लगा और बोला-“अच्छा तो तुम्हारे यहां लिखित संविधान, कानून कायदे जनता को बेवकूफ बनाने के लिए हैं। तुम्हारी सरकार सब उल्टा करती है। संविधान सिर्फ शपथ लेने के लिए। इसलिए तुम अपना यान यहां से वापस ले जाओ। नहीं तो हम नष्ट कर देंगे।”

सुरक्षा अधिकारी ने कहा-” सर, हमारा यान आपके चंद्रलोक को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। हम सिर्फ मानव जाति के कल्याण शांति और समृद्धि के प्रयोजन से सिर्फ वहां की सूचनाएं एकत्रित कर अंतरिक्ष विज्ञान में अनुसंधान करेंगे। चंद्रमा की धरती से कोई वस्तु या सामग्री संग्रहित नहीं करेंगे।” हमारा यान मानव रहित है, मनुष्य की कोई जाति आपकी धरती पर पैर नहीं रखेगी।” व्यंग्यात्मक लहजे में सुरक्षा अधिकारी ने जवाब दिया पृथ्वी लोक के मानव जाति का कोई भरोसा नहीं। परमाणु विज्ञान का अनुसंधान भी मानव जाति के कल्याण के लिए किया था और किया क्या? तुम जो कहते हो उसका सिर्फ उल्टा करते हो। जब तुम्हारी सरकारों को युद्ध करना होता है तब शांति की बात करते हैं। जहां युद्ध जरूरी है वहां कायरता दिखते हो। सिर्फ छाती ठोंकते हो।” यह सुनकर भारतीय वैज्ञानिक ने अनुरोध करते हुए कहा -“सर, मेरा यकीन मानिए। मैं वैज्ञानिक हूं, कोई नेता नहीं। किसी राजनीतिक दल के प्रति मेरी प्रतिबद्धता नहीं है। मैं राष्ट्रभक्त हूं। जो कहता हूं वह करता हूं। इतने कम बजट और संसाधन में हमारे इसरो की टीम ने दिन-रात मेहनत करके अनुसंधान किया। चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसरो की स्थापना की थी। दीर्घकालीन अनुसंधान और परिश्रम के बाद हमें यह सफलता मिली है। आप हमारी सरकार पर नहीं हम वैज्ञानिकों पर उपकार करिए। सिर्फ कुछ दिनों के लिए यान को चंद्रलोक में रहने दीजिए”।

इसरो वैज्ञानिक की यह बात सुनकर चंद्रलोक के सुरक्षा अधिकारी का रुख कुछ ढीला हुआ। अधिकारी ने कहा-“तुम्हारी बात मान लेता हूं, वरना तुम्हारे भारत सरकार के प्रधानमंत्री का कोई भरोसा नहीं। कल वह भी उद्योगपति मित्रों के दलबल के साथ चंद्रलोक ना पहुंच जाएं। और भारत की तरह चाय बेचते-बेचते, कहीं चंद्रलोक की संपदा को भी ना बेच डालें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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