ग्वालियर-चम्बल(देसराग)। भारतीय जनता पार्टी में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को अब चुनाव से ठीक पहले एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है जिसकी वजह से उनके सामने असमंजस की स्थितियां बन गई हैं। इनमें भी सर्वाधिक परेशानी ग्वालियर-चंबल अंचल में आ रही है। यह वह अंचल है जहां से साल 2018 के विधान सभा चुनाव के बाद कांग्रेस का सत्ता का वनवास तोड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ था। यहीं से सर्वाधिक सिंधिया समर्थक आते हैं। इस अंचल में मूल भाजपाई और सिंधिया समर्थक भाजपाई के रूप में पार्टी दो गुटों में पूरी तरह से बंटी हुई नजर आ रही है। अलबत्ता ग्वालियर उप नगर की ग्वालियर-15 विधान सभा सीट से वर्तमान विधायक और शिवराज सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की सीट को छोड़ दें तो शेष सीटों पर सिंधिया समर्थक नेताओं के टिकट पर असमंजस के बदल मंडरा रहे हैं। ग्वालियर जिले की इन पांच सीटों पर हालात यह हैं कि मूल भाजपा में इस अंचल से पार्टी के कई पुराने बड़े क्षत्रप दम दिखा रहे हैं, जिनके अपने समर्थक हैं। इनमें केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर स्वयं प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा तक शामिल हैं। इस वजह से अब टिकटों के लिए बिछी बिसात में सिंधिया समर्थक विधायकों को मूल भाजपाई नेताओं से दो चार होना पड़ रहा है। यही नहीं ठीक चुनाव से पहले उन्हें उनकी प्रतिद्वंद्विता का सामना तो करना ही पड़ रहा है, साथ ही उनसे समन्वय बनाने के लिए भी एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।
इसकी वजह से अब वे अपने टिकटों को लेकर भी दुविधा में हैं। इसकी एक और बड़ी वजह है वह सूची, जिसे हाल ही में भाजपा ने जारी किया है। इस सूची में सिंधिया समर्थक उपचुनाव में गोहद विधान सभा सीट से हारे पूर्व विधायक रणवीर सिंह जाटव का नाम शामिल नहीं किया गया है। सिंधिया के भाजपा में आने के बाद 2020 में ग्वालियर-चम्बल की 16 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इनमें से 15 सिंधिया के समर्थक थे और एक सीट (जौरा) विधायक के निधन से खाली हुई थी। इनमें से 2 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। सुमावली से सिंधिया समर्थक ऐंदल सिंह कंसाना को तो टिकट दिया गया है लेकिन गोहद से उनके समर्थक रणवीर जाटव का टिकट काटकर लाल सिंह आर्य को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है। कमोवेश यही हालात ग्वालियर-चम्बल अंचल की अन्य सीटों पर बनती हुई दिख रही है। यह बात अलहदा है कि सिंधिया समर्थक कई मौजूदा और पूर्व विधायक ऐसे भी हैं जिनका टिकट अभी से न केवल सिंधिया समर्थक पक्का मान रहे हैं बल्कि मूल भाजपा नेता भी तय मानकर चल रहे हैं। जिन सिंधिया समर्थकों को टिकट अभी से पक्का माना जा रहा है, उनमें ग्वालियर-15 सीट से ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, डबरा से चुनाव हार चुकीं इमरती देवी, बमोरी से पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम शामिल है। उनके द्वारा उपचुनाव में कांग्रेस के केएल अग्रवाल को हराया गया था।
अंचल की मुरैना सीट पर सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना के अलावा पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह टिकट के दावेदार हैं। हमीर सिंह पटेल, गीता सिंह हर्षाना भी यहां पर दावेदारी जता रहीं हैं। इसी तरह से दिमनी सीट पर कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर विधायक हैं। उन्होंने 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए पूर्व विधायक गिर्राज डंडौतिया को 26467 वोट से हराया था। गिर्राज के अलावा पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर यहां से दावेदारी कर रहे हैं, जबकि करैरा सीट पर कांग्रेस के प्रागीलाल जाटव विधायक हैं। उन्होंने 2020 में कांग्रेस छोडक़र भाजपा में गए जसमंत जाटव को 30641 वोट से मात दी थी। इस सीट पर अब भाजपा से जसमंत के अलावा पूर्व विधायक रमेश खटीक और शकुंतला खटीक भी दावेदारों में शामिल हैं। इसी तरह से अशोकनगर से विधायक जजपाल सिंह जज्जी को मुकेश कलावत, सतेंद्र कलावत, लड्डूराम कोरी और मुंगावली में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव को भाजपा से सांसद केपी यादव की पत्नी अनुराधा यादव, पूर्व जनपद अध्यक्ष रामराजा यादव और अजय यादव की दावेदारी परेशान किए हुए हैं। इस सीट पर उपचुनाव में यादव ने कांग्रेस के कन्हईराम लोधी को 21 हजार वोटों से हराया था।
मेहगांव सीट पर इस बार भी सिंधिया समर्थक मंत्री ओपीएस भदौरिया दावा कर रहे हैं। लेकिन जातीय समीकरणों के संतुलन बिगड़ने से यह सीट भाजपा के किसी ब्राम्हण नेता को दिए जाने की संभावना जताई जा रही है। इस लिहाज से ओपीएस भदौरिया के सामने मुश्किल बढ़ रहीं हैं। इस सीट पर मूल भाजपा नेता और पूर्व विधायक राकेश शुक्ला और चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी को तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पूर्ण भरोसा दिला चुके हैं कि उन्हें भिण्ड जिले की लहार या मेहगांव सीट से चुनाव लड़ाएंगे। राकेश शुक्ला भी चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। वैसे राकेश शुक्ला पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ भी अपनी निगाहें जमाएं हुए हैं, यदि भाजपा उनका टिकट काटकर ओपीएस भदौरिया या किसी अन्य को देगी तो कांग्रेस राकेश शुक्ला को महगांव सीट से मैदान में उतार सकती है। कुछ इसी तरह के हालात भाजपा के लिए भिण्ड विधान सभा सीट पर बन रहे हैं। यहां से वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह अपना टिकट फाइनल मानकर चल रहे हैं लेकिन उनकी राह का सबसे बड़ा कांटा पूर्व विधायक नरेन्द्रसिंह कुशवाह बने हुए हैं। नरेन्द्र सिंह कुशवाह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का खास माना जाता है और सोने पे सुहागा वाली बात यह है कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी नरेन्द्र सिंह कुशवाह के पक्ष में बताए जा रहे हैं। बावजूद इसके यह सीट भाजपा के लिए दुविधा बनी हुई है।
भिण्ड जिले की लहार विधान सभा सीट पर भी भाजपा के लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस सीट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा अम्बरीश शर्मा और चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी दोनों को आश्वासन दे चुके हैं। अम्बरीश शर्मा तो अपना टिकट फाइनल मानकर चुनावी तैयारियों पर लाखों रुपये खर्च भी कर चुके हैं। यहां भी केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की राय महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वैसे भाजपा संगठन में इस सीट पर पूर्व विधायक रसाल सिंह का दावा सबसे मजबूत बताया जा रहा। इसके पीछे दलील यह दी जा रही है कि लहार के मतदाता यह मानकर चल रहे हैं कि भाजपा में उम्र के पैमाने के लिहाज से यह चुनाव रसाल सिंह के लिए आखिरी चुनाव है। लिहाजा इलाके में उनके प्रति सहानुभूति की लहर है और भाजपा इसे किसी भी सूरत में भुनाना चाहेगी।
इसी तरह से भांडेर सीट पर सिंधिया समर्थक विधायक रक्षा संतराम सिरौनिया ने 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस के फूल सिंह बरैया को महज 161 वोट हराया था। रक्षा इस बार भी टिकट की दावेदार हैं लेकिन उन्हें पूर्व विधायक घनश्याम पिरौनिया की दावेदारी का सामना करना पड़ रहा है। अगर बात ग्वालियर शहर की जाए तो ग्वालियर पूर्व से उपचुनाव में कांग्रेस के सतीश सिकरवार से हार चुके मुन्नालाल गोयल एक बार फिर से अपनी उम्मीदवारी चाहते हैं। उन्हें रामेश्वर भदौरिया की दावेदारी परेशान किए हुए है। पोहरी में लोक निर्माण राज्य मंत्री सुरेश राठखेड़ा के अलावा पूर्व विधायक प्रहलाद भारती और सलोनी धाकड़ भी दावेदार बने हुए हैं। उपचुनाव में राठखेड़ा ने बसपा के कैलाश कुशवाहा को 22496 वोटों से हराया था। यहां पर कांग्रेस को तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था। अंबाह में विधायक कमलेश जाटव क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्हें यहां पुराने भाजपाई के बजाए दो महीने पहले कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए पूर्व विधायक सत्यप्रकाश सखवार से टक्कर मिल रही है।