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Thursday, Dec 7, 2023
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राजनीति

मोदी की काट के लिए इंडिया की बैठक भोपाल में कर विपक्ष खेल सकता है बड़ा दांव?

भोपाल(देसराग)। केंद्र की मोदी सरकार को हटाने के लिए एकजुट विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस यानी आईएनडीआईए (इंडिया) की अगली बैठक चुनावी राज्य मध्यप्रदेश के भोपाल में हो सकती है। हालांकि इसकी तारीख तय नहीं हो सकी है। सूत्रों के अनुसार भोपाल में बैठक के साथ ही विपक्षी नेताओं की एक जनसभा भी हो सकती है। सूत्रों की मानें तो अगली बैठक आयोजित करने के विकल्प पर मुंबई में विपक्षी दलों की हाल ही में हुई बैठक में चर्चा की गई थी और भोपाल में बैठक आयोजित करने पर सहमति रही।

सूत्रों ने कहा कि विपक्षी गठबंधन की अगली बैठक अक्टूबर की शुरुआत में हो सकती है। विपक्षी नेताओं ने दिल्ली को भी एक विकल्प माना है। बता दें कि विपक्षी नेता एनडीए से मुकाबला करने के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं, इसका असर संसद सत्र के दौरान भी दिखाई दिया था। इंडिया गठबंधन पहले ही पटना, बेंगलुरु और मुंबई में तीन बैठकें कर चुका है और अब वह चुनाव नजदीक आने पर विभिन्न स्थानों पर एनडीए के खिलाफ संयुक्त रैलियां आयोजित करने की योजना बना रहा हैं। बता दें मध्य प्रदेश में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने है। इसलिए बैठक को अहम माना जा रहा है। बता दें विपक्षी दलों के गठबंधन ने आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने एकजुट होकर लड़ने का एलान किया है। विपक्षी आईएनडीआईए के शीर्षस्थ नेताओं की चौथी बैठक चुनावी राज्य मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में होगी। वैसे इसकी तारीखें अभी तय नहीं हुई है मगर संकेतों से साफ है कि संसद के बुलाए गए विशेष सत्र के बाद अक्टूबर की शुरुआत में यह बैठक होगी।

इस बैठक के साथ ही आइएनडीआइए की पहली साझा राजनीतिक रैली भी भोपाल में ही होगी। मध्यप्रदेश चुनाव के मद्देनजर भोपाल रैली के जरिए विपक्ष की एकजुटता को लेकर उठने वाले किंतु-परंतु के सवालों को थामने का भी प्रयास होगा। विपक्षी खेमे के सूत्रों के अनुसार मुंबई में एक सितंबर को हुई आइएनडीआइए की तीसरी बैठक के दौरान ही भोपाल को अगली बैठक का पड़ाव बनाने का फैसला नेताओं ने कर लिया। साथ ही यह भी तय हुआ कि आइएनडीआइए की पहली साझा रैली के लिए भोपाल कई मायनों में अनुकूल होगी। इसमें सबसे अहम है कि जिन पांच राज्यों में इस वर्ष के आखिर में चुनाव होने हैं उनमें मध्यप्रदेश ही एकमात्र राज्य है, जहां भाजपा की सरकार है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार हैं तो मिजोरम में क्षेत्रीय पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट की सत्ता है ,जो फिलहाल भाजपा गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में जाहिर तौर पर 2024 के चुनाव में मोदी सरकार को चुनौती देने की ताल ठोक रहे विपक्ष के लिए मध्यप्रदेश का 2023 का चुनावी सेमीफाइनल एक सियासी टेस्ट केस है। सूत्रों का कहना है कि भोपाल में इंडिया की बैठक के पीछे कांग्रेस की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव से पहले सपा और आप जैसी पार्टियों को साधा जाए। विपक्षी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण यह है कि सूबे में भाजपा से ही उसकी सीधी लड़ाई है और पार्टी भोपाल रैली के जरिए पूरे देश में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने का संदेश दे सकती है। मध्यप्रदेश का आइएनडीआइए की अगली बैठक के लिए चुनाव करना विपक्षी खेमे के नेताओं के लिए भी सहज है, क्योंकि राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों के लिए मध्यप्रदेश में अभी कोई सियासी गुंजाइश नहीं है। समाजवादी पार्टी का कुछ एक जिलों में प्रभाव है भी तो वह ऐसा नहीं कि कांग्रेस की सिरदर्दी बढ़ाए। इस लिहाज से भोपाल में आइएनडीआइए की पहली रैली में ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेताओं को ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। विपक्ष की भोपाल बैठक के मेजबान स्वाभाविक रूप से मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ होंगे। कांग्रेस के लिए यह सुखद इसलिए भी है क्योंकि ममता बनर्जी, शरद पवार, अखिलेश, नीतीश-लालू से लेकर सीताराम येचुरी समेत तमाम अन्य विपक्षी दिग्गजों से कमलनाथ के अच्छे निजी संबंध भी हैं। आइएनडीआइए की संयुक्त रैली मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान को विपक्ष की साझा ताकत की ऊर्जा देगी वहीं आइएनडीआइए इसके जरिए गठबंधन की एकजुटता को लेकर बार-बार उठाए जा रहे सवालों को थामने का मौका देगा।

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